गीत/नवगीत

गीत : ज़हरीला ही बोलूँगा

जब-जब मुँह को खोलूंगा मैं, ज़हरीला ही बोलूंगा
कुछ भी बोलूँगा भारत माँ की जय नहीं मैं बोलूंगा

रहता भारत में हूँ चाहे, नमक यहाँ का खाता हूँ
पीता हूँ शीतल जल मैं पर आग उगल दिखता हूँ
ओकात ही ऐसी है मेरी ना नमक हरामी भूलूंगा
कुछ भी बोलूँ, भारत माँ की जय नहीं मैं बोलूंगा

गन्दी राजनीति करना ही अब तक नित रही मेरी
दंगाइयों को गले लगाना हरदम प्रीत रही मेरी
देश में अब तो अमन चैन का माहौल नहीं होने दूंगा
कुछ भी बोलूँ, भारत माँ की जय नहीं मैं बोलूंगा

कुता न कहना मुझको, यह कुत्तो पर है अत्याचार
ओवेसी है नाम मेरा, धोखे से भरे मेरे विचार
देश की हवा में मैं रक्तरंजित विष को घोलूँगा
कुछ भी बोलूँ, भारत माँ की जय नहीं मैं बोलूंगा

देश विरोधी नारे गाकर मैं सुर्ख़ियों में रहता हूँ
गरल उगलने के बाद ही चैन से मैं तो सोता हूँ
नाग हूँ मैं पालने वाले को डसना ना मैं भूलूंगा
कुछ भी बोलूँ, भारत माँ की जय नहीं मैं बोलूंगा

खुद पर लगे इल्ज़ामों की परवाह नहीं हूँ मैं करता
मुस्लिम वोटों की बैंक को लेकर साथ में हूँ मैं चलता
मक्कार नेताओं को ऊँगली पे नाचना ना मैं भूलूंगा
कुछ भी बोलूँ, भारत माँ की जय नहीं मैं बोलूंगा

नहीं बाज़ आने वाला मैं करने से मक्कारी
करता रहा हूँ , करता रहूँगा देश से मैं गद्दारी
गद्दार हूँ मैं देश का, सीना ठोक के मैं तो बोलूँगा
कुछ भी बोलूँ, भारत माँ की जय नहीं मैं बोलूंगा।

— प्रिया

*प्रिया वच्छानी

नाम - प्रिया वच्छानी पता - उल्हासनगर , मुंबई सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने E mail - [email protected]

2 thoughts on “गीत : ज़हरीला ही बोलूँगा

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर गीत !

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर गीत !

Comments are closed.