हास्य कविता
आधुनिक नारी
आधुनिक नारी यह तो है सब पे भारी।
कोई न पाए पार ऐसी इसमें होशियारी।
जीवन इसका व्यस्त इतना दिन चाहे रात
मोबाईल पे चला ऊंगलियां है बहुत मारामारी ।
फैशन की तुम बात न पूछो मरना है क्या
मेयकप में जब आए हिरोईन भी है हारी।
स्कूल बच्चों ने जाना है बहुत आफत का काम
सुबह सुबह उठे कौन लगे नींद सबसे प्यारी।
सास ससुर की सेवा की तो पूछो मत बात
किटी पार्टी से आकर ही खुलेगी किचन बेचारी।
भूले से इसके मायके वालों को कुछ न कहना
वरना घर में हो जाएगी महाभारत बहुत ही भारी।
चैन से जीना है गर सबको तो समझो यह बात
खामोशी से चुपचाप तुम बस कर लो अपनी यारी।।।
कामनी गुप्ता ***
हा हा हा हा ! सत्य बात ! पर कहना नहीं चाहिए, वर्ना महाभारत हो जायेगा !!
हा हा हा हा ! सत्य बात ! पर कहना नहीं चाहिए, वर्ना महाभारत हो जायेगा !!
धन्यवाद सर जी !
प्रथम प्रयास था हास्य कविता का ।