कविता

उड़ा जा रहा है

समय,
पुनः वापिस न आने के लिए
उड़ा जा रहा है
आदमी,
मनचाही वस्तु को
बार-बार पाने की चाहत में
उड़ा जा रहा है.

 
समय,
भूतकाल से नाता तोड़के
उड़ा जा रहा है
आदमी जानते हुए भी कि
भूतकाल को भुलाना
उसके हित में है
भूतकाल से नाता जोड़के
उड़ा जा रहा है.

 
समय,
अपनी नियमित-निर्धारित गति से
उड़ा जा रहा है
आदमी,
कभी दैववश
कभी आलस्य-प्रमादवश
असंयमित गति से
उड़ा जा रहा है.

 
समय,
स्वभावतः
भविष्य-सृजन हेतु
उड़ा जा रहा है
आदमी,
कभी परिस्थितिवश
कभी आकांक्षाओं-अभिलाषाओं के वशीभूत
स्वनियोजित
भविष्य-सृजन हेतु
उड़ा जा रहा है.

 
समय,
तो बस जाने-अनजाने
उसे न चलने का पता है
न उड़ने का
उड़ा जा रहा है
आदमी,
चलने और उड़ने के
अंतर को जानते हुए भी
उड़ने के खतरों से
वाकिफ होते हुए भी
उड़ा जा रहा है,
उड़ा जा रहा है,
उड़ा जा रहा है.
——————–

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

10 thoughts on “उड़ा जा रहा है

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता बहिन जी !

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , कविता बहुत ही अच्छी लगी ,ठीक ही तो है समय उड़ा जा रहा है ,आगे ही आगे, लेकिन इंसान भूतकाल के अंत तक जाना चाहता है ,यहाँ तक उस की याद उसे ले जाए .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, तभी तो हमें इतनी नायाब मेरी कहानी पढ़ने को मिल रही है. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    आदरणीय लीला तिवानी जी बहुत बढ़िया कविता लिखी है आप ने . बधाई आप को इस हेतु.

    • लीला तिवानी

      प्रिय ओमप्रकाश भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको कविता अच्छी लगी. आपको भी बधाई के लिए बधाई (हमारे यहां प्रतिफल का यही रिवाज़ है).

      • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

        स्वागत है आप का आदरनीय लीला तिवानी जी

  • लीला तिवानी

    प्रिय मनमोहन भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको कविता अच्छी लगी. बहुत समय पहले यह किसी धुन में लिखी गई थी, कल कवि सम्मेलन में जाने के लिए कविता का चुनाव करते-करते हाथ लग गई, तो आपका आशीर्वाद मिल गया. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • Man Mohan Kumar Arya

    नमस्ते बहिन ही। कविता बहुत अच्छी लगी। कविता में समय और आदमी की बहुत अच्छी तुलना की गई है। सादर।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको कविता अच्छी लगी. बहुत समय पहले यह किसी धुन में लिखी गई थी, कल कवि सम्मेलन में जाने के लिए कविता का चुनाव करते-करते हाथ लग गई, तो आपका आशीर्वाद मिल गया. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

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