गीत : उम्मीद
उम्मीद की किरण से ही होता है सवेरा
उम्मीद अगर ना हो छा जाता है अँधेरा
उम्मीद ही है सूरज, उम्मीद चाँद-तारे
उम्मीद ही सफर है, उम्मीद ही बसेरा
उम्मीद के पथिक तू क्यों हो विकल रहा है
उम्मीद का दिया तो हर दिल में जल रहा है
उम्मीद धूप भी है, उम्मीद छाँव भी है
उम्मीद पुरखों का वो पुराना गाँव भी है
उम्मीद ही चलाती, उम्मीद रोकती भी
उम्मीद ही है बेड़ी, उम्मीद पाँव भी है
उम्मीद की लहरों से सागर मचल रहा है
उम्मीद का दिया तो हर दिल में जल रहा है
उम्मीद पर ही सारी दुनिया टिकी हुई है
उम्मीद के ही हाथों हर शै बिकी हुई है
उम्मीद जवां जिसकी सीना है उसका चौड़ा
उम्मीद बूढ़ी है तो कमर झुकी हुई है
उम्मीद के सहारे हर कोई चल रहा है
उम्मीद का दिया तो हर दिल में जल रहा है
उम्मीद ही हकीकत, उम्मीद ही है सपना
उम्मीद नहीं है तो कोई नहीं है अपना
उम्मीद से ही साँसें, उम्मीद से ही धड़कन
उम्मीद की माला पे उम्मीद को है जपना
उम्मीद रखने वाला यहाँ सफल रहा है
उम्मीद का दिया तो हर दिल में जल रहा है
उम्मीद आसमां है, उम्मीद रोशनी है
उम्मीद ही है सरगम, उम्मीद रागिनी है
उम्मीद अप्सरा है, मादक है चंचला है
उम्मीद कामिनी है, उम्मीद दामिनी है
उम्मीद की सतह पर मन फिर फिसल रहा है
उम्मीद का दिया तो हर दिल में जल रहा है
उम्मीद जिनकी पूरी वो मुस्कुरा रहे हैं
उम्मीद जिनकी टूटी आँसू बहा रहे हैं
उम्मीद से ही घूमता है ज़िंदगी का पहिया
उम्मीद के तराने हम गुनगुना रहे हैं
उम्मीद का ये मौसम हर पल बदल रहा है
उम्मीद का दिया तो हर दिल में जल रहा है
उम्मीद क्रोध भी है, उम्मीद शांति भी है
उम्मीद ज़ुल्म भी है, उम्मीद क्रांति भी है
उम्मीद के शिकंजे से कोई बच सका ना
उम्मीद सत्य भी है, उम्मीद भ्रांति भी है
उम्मीद में हर कोई घर से निकल रहा है
उम्मीद का दिया तो हर दिल में जल रहा है
उम्मीद जीतती है, उम्मीद हारती है
उम्मीद जिलाती है, उम्मीद मारती है
उम्मीद हमें छोड़के जाती नहीं कभी भी
उम्मीद सबकी बिगड़ी किस्मत संवारती है
उम्मीद है वो बच्चा जो सबमें पल रहा है
उम्मीद का दिया तो हर दिल में जल रहा है
उम्मीद के पथिक तू क्यों हो विकल रहा है
उम्मीद का दिया तो हर दिल में जल रहा है
— भरत मल्होत्रा
वाह वाह ! उम्मीदों भरी कविता !!
बहुत सुन्दर आदरणीय भारत भाई जी .
बहुत खूब!आदरणीय!
बहुत खूब!आदरणीय!