बाल गीत : क्लोज़ अप में फोटो
खिड़की से झांकी है,छत पर मंडराई है।
धूप अभी शैशव से,बचपन तक आई है।
अभी नहीं फ़ूले हैं सूरज के गाल।
पर कटना चालू है ठंडक के जाल।
गर्मी ने आने की अर्जी भिजवाई है।
दिन पर दिन बढ़ना है,मौसम का ताप
सूरज की माला में,गर्मी की जाप।
किरणों में थोड़ी सी ,ताकत अब आई है।
कल ही तो आये हैं,लपटों के फोन।
सूरज अब मुस्काया,कल तक था मौन।
अभी अभी क्लोज़ अप में फोटो खिंचवाई है।
— प्रभुदयाल श्रीवास्तव
आदरणीय प्रभुलाल जी श्रीवास्तव जी आप का बालगीत अच्छा लगा. बधाई .
अच्छी रचना !
अच्छी रचना !