राधेश्यामी छंद
मस्त मगन ये फाग महीना, लाल गुलाब पलाश खिलें हैं
अबीर लियो हाथ में भाई, बैर छोड़ सब गले मिले हैं
होली खेलन अलि आयो है, देख कली मुस्काय रही है
निज हाथों से रंग लगाये, खड़ी कली शरमाय रही है
— अतुल बालाघाटी
मस्त मगन ये फाग महीना, लाल गुलाब पलाश खिलें हैं
अबीर लियो हाथ में भाई, बैर छोड़ सब गले मिले हैं
होली खेलन अलि आयो है, देख कली मुस्काय रही है
निज हाथों से रंग लगाये, खड़ी कली शरमाय रही है
— अतुल बालाघाटी