कविता : हमराही
मिले राहे इश्क मे जो हमराही हमें ।
उनकी नजरों मे इश्क आज भी है ।
देखकर उनको जाने क्यों लगा हमें ।
हमारे दिल मे उनका अख्तियार आज भी है ।
जाके दूर हमसे निखर गए हो तुम ।
ये अलग बात है बिखर गए हैं हम ।
आज भी तेरे आने से खिलती ये बहार है ।
इस जहाँ मे इक नजर को तेरा इन्तज़ार है ।
तेरा मेरा ये जो फसाना ऐ प्यार है ।
और कुछ नहीं बस तेरी नजर का करार है ।
— अनुपमा दीक्षित मयंक