हाकलि मुक्तक छ्न्द
हाकलि मुक्तक छ्न्द [४+४+४+२]
फागुन माया छाया है
रंगों ने भर माया है
घर अरु आँगन गाता क्यों
होली कंचन काया है
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’
27/03/2016
हाकलि मुक्तक छ्न्द [४+४+४+२]
फागुन माया छाया है
रंगों ने भर माया है
घर अरु आँगन गाता क्यों
होली कंचन काया है
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’
27/03/2016
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बहुत खूब .
आदरणीय जी स्नेह के लिए आभार संग नमन