मैंने भी कुछ टूटे से घर देखे हैं,
मैंने भी कुछ टूटे से घर देखे हैं,
उड़ने वालो के कतरे पर देखे हैं.||
डस जाते हैं वो धीरे धीरे यारो,
आस्तीन में रहते विषधर देखे हैं.||
सारी दुनिया को तो धमकाते हैं वो
उनके मन में पर हमने डर देखे है||
महलों में रहते थे शानों शौकत से
आज वही सड़कों पर बेघर देखे है||
इसे हया की हद कहते दुनिया वाले,
अपना बुत वो जब छुप छुपकर देखे है||
“दिनेश “
दुन्या वाले
या
दुनिया वाले ?