मिशन- 2017 के लिए और आक्रामक हुई समाजवादी पार्टी
होली का पर्व समाप्त होने के बाद ही समाजवादी पार्टी अब पूरे जोश व नये तेवरों के साथ चुनावी मैदान में कूद पड़ी है। अभी हाल ही में एबीपी न्यूज के चुनाव पूर्व सर्वे में समाजवादी पाटी को काफी पिछड़ता हुआ दिखलाया गया है, जिसमें समाजवादी पार्टी को 80 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर खिसका दिया गया है। यह सर्वे समाजवादी पार्टी के लिए गहरा झटका माना जा रहा है। इस सर्वे के बाद समाजवादी पार्टी पूरी तरह से सावधान और सतर्क हो गयी है तथा संगठन व सरकार तथा विकास कार्यो को पटरी पर लाने के लिये ओैर अधिक सक्रिय हो गयी है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी जान से जुट गये हैं। चुनावों में विजय पाने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी सरकार व अधिकारियों के पेंच कसने प्रारम्भ कर दिये हैं तथा मतदाता को लुभाने के लिये हर प्रकार के ऐलान करने में गति ला दी है।
सर्वे के आधार पर समाजवादी पार्टी ने पिछली बार जिन सीटों पर सपा हार चुकी है तथा वे सीटें जो सपा के लिए बेहद कमजोर रही हैं वहां पर समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान करना प्रारम्भ कर दिया है जिसके कारण अन्य विरोधी दल दबाव में आ गये हैं। समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवारों का ऐलान तथा घोषणाओं के बल पर अन्य दलों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है। समाजवादी पार्टी अपने संगठन व सरकार को मजबूत करने में लग गयी है। यही कारण है कि समाजवादी सरकार ने अपने प्रशासनिक ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन करने का साहसिक कदम उठाना शुरू कर दिया है तथा कई प्रशासनिक अफसरों के तबादले व निलंबन का काम भी शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा सपा प्रवक्ता अब पूरे जोश के साथ अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल वापस लाने के लिये कहने लग गये हैं कि यह चुनावी वर्ष है इसलिये यह साजिशों का वर्ष होगा। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने टी वी चैनलों व सोशल मीडिया से प्रसारित सर्वे को पूरी तरह से नकार दिया है तथा इसे सपा सरकार के खिलाफ साजिश करार दिया है। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आईएस अफसरों के सप्ताह के दौरान अफसरों को यह बात अच्छी तरह से समझाने की कोशिश की है कि अगली सरकार उन्हीं की वापस आ रही है तथा यदि वह जनता के बीच फेल होते हैं तो इसकी जिम्मेदारी अफसरों की ही होगी। अफसरों के साथ बैठकों में मुख्यमत्री अखिलेश यादव यह समझाते रहे कि आप लोगों को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल का वह समय याद रखना चाहिये कि जिसमें आप लोगों को मुख्यमंत्री के सामने जूते उतारकर जाना पढ़ता था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि उनकी सरकार ही सबसे अधिक उदारवादी है। यह बात कुछ हद तक सही भी है ।
अभी हाल ही में होली के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास पर उनसे मिलने वालों का गजब का तांता लगा रहा हर कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को होली की बधाई देने के लिए तत्पर रहता था। यही हाल सपा मुखिया मुलायम सिंह का भी रहा। यहां पर सबसे अच्छी बात यह थी कि इतनी भीड़ के बावजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनसे मिलने के लिए आ रहे लोगों को निराश नहीं कर रहे थे। हर कोई उनसे मिलना चाह रहा था और वे उनसे मिल भी रहे थे। युवा मुख्यमंत्री एक नये जोश व उत्साह में नजर आ रहे थे। जबकि सपा प्रवक्ता यह दावा कर रहे थे कि इस बार भी सरकार समाजवादी पार्टी की ही बनेगी।
उधर राजनैतिक स्तर व संगठनात्मक दृष्टि से भी समाजवादी पार्टी ने सभी दलों को चैंकाते हुए हारी सीटों पर 141 उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं । जिसमें भी सबसे अधिक चौंकाने वाला नाम लखनऊ कैंट से छोटी बहू अपर्णा यादव को चुनावी मैदान में उतारकर सनसनी मचाने का काम किया है। लेकिन विरोधी दल तथा राजनैतिक विश्लेषक इसे समाजवादी वंशवाद की परम्परा को आगे बढ़ाने का प्रयास ही मान रहे हैं । कहा जा रहा है कि अपर्णा यादव मुलायम परिवार की 16वीं सदस्या के रूप में सक्रिय राजनीति में राजनीति में उतर चुकी हैं।
अभी कुछ समय पूर्व मुलायम सिंह के दूसरे बेटे प्रतीक यादव राजनीति में आने से मना कर चुके थे लेकिन अपने एनजीओं के माध्यम से जनता के बीच रहने वाली अपर्णा यादव को चुनावी मैदान में उतारकर सपा मुखिया मुलायम सिंह ने एक बार फिर सबको चौंकाने का प्रयास किया है। लखनऊ कैंट सीट सपा के लिए काफी कठिन सीट मानी जाती रही है। यही कारण है कि इस बार सपा ने अपर्णा यादव को चुनाव मैदान में उतारकर मास्टरस्ट्रोक चल दिया है।
समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों का चयन करते समय समाज के सभी वर्गों, खासकर अपने जातीय समीकरणों को भी साधने का प्रयास किया है। समाजवादी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनावों में दूसरे स्थान पर रहे 31 प्रत्याशियों सहित हारी सीटों पर आधे से अधिक चेहरे बदल दिये हैं। जिन 141 उम्मीदवारों का ऐलान किया गया है उसमें सीट- दर – सीट समीकरणों का ध्यान रखा गया है। यही कारण है कि पिछली बार चुनाव लड़े 76 लोग इस बार के चुनावों में नहीं दिखेंगे।
वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने 65 सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे 31 प्रत्याशी भी बदल दिये हैं। सबसे खास बात यह है कि सपा ने जिन उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है उन्हें हर रोज संगठन के नजरिये से अग्निपरीक्षा के दौर से गुजरना होगा। सभी उम्मीदवारों के प्रदर्शन की लगातार मानीटरिंग होगी। यदि वे मानीटरिंग में असफल रहे तो उनका टिकट बदल दिया जायेगा और पास हो गये तो उनका टिकट बरकरार रहेगा।
समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान करते समय जातीय समीकरणों का भरपूर ध्यान रखा है तथा इसमें 28 मूस्लिमों को टिकट देकर उन पर अपना भरोसा जताया तथा वहीं पर 22 दलितों, 19 यादवों, 15 क्षत्रियों, 11 ब्राहमणों , 7 जाट, 6 कुर्मी व शेष टिकट वैश्य, कायस्थ , सिखों आदि को बांट दिये हैं। सपा मुखिया ने टिकट वितरण करते समय युवाओं का भी विशेष ध्यान रखा है। सपा की यूथ बिग्रेड के नेता अतुल प्रधान को मेरठ से टिकट दिया गया है। इसी प्रकार क्रिकेटर ज्योति यादव को इलाहाबाद पश्चिम से टिकट देकर युवाओं को आकर्षित करने सफल प्रयास किया गया है।
सपा ने इस बार पिछली बार पीस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते कमाल यूसुफ व अनीसुर्ररहमान को भी टिकट दिया है। सपा ने लखनऊ पूर्व से डा. श्वेता सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां से पिछली बार चुनाव मैदान में उतरीं जूही सिंह चुनाव लड़ी थीं और भाजपा के कलराज मिश्र चुनाव जीते थे तथा बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था लेकिन उसके बाद हुए उपचुनाव में भी जूही सिंह को पराजय का सामना करना पड़ा था और लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन चुनाव जीते थे।
चाहे जो हो आगामी 2017 के विधानसभा चुनाव किसी भी दल के लिए बेहद आसान नहीं होने जा रहे हैं। यही कारण है कि अब सपा सरकार ने समाज के सभी वर्गों और विशेषकर अपने वोट बैंक को बनाये रखने के लिये योजनाओं व शिलान्यास व ऐलान करना तेज कर दिया है। हाल ही में कैबिनेट की बैठक में बुंदेलखंड की जनता के लिये नजरें इनायत की गयी है। बुंदेलखंड की सभी महिलाओं को समाजवादी पेंशन से जोड़ने की एक महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया गया है।
मुख्यमंत्री का कहना हैं कि आगामी महीनों में अल्पसंख्यकों के लिए भारी संख्या में नौकरियों का ऐलान किया जा सकता है। समाज के विभिन्न वर्गो के मिलने वाली पेंशनों में वृद्धि की जा रही है। प्रदेश के 40 जिलों में ट्रामा सेंटर खोलने का ऐलान किया गया है। इसके अतिरिक्त सपा सरकार अपने विकास कार्यो का मीडिया के माध्यम से काफी प्रचार-प्रसार कर रही है। समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में बड़े-बड़े विज्ञापन प्रकाशित करवा रही है। सभी विकास कार्यों को तेज गति से पूरा करने का दबाव अधिकारियों पर बनाया जा रहा है अब सपा के प्रयासों का कितना असर होगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।
— मृत्युंजय दीक्षित