संस्मरण

नभाटा ब्लाॅग पर मेरे दो वर्ष-3

मैंने अगला लेख लिखा था ‘हिंदू मुस्लिम एकता का दिवा स्वप्न’। इसका लिंक अपने दूसरे ब्लाॅग से दे रहा हूँ क्योंकि उसमें यह लेख पूरा है।
http://khattha-meetha.blogspot.in/2012/01/blog-post_08.html

यहां यह स्पष्ट कर दूं कि मैं अपने लेखों की एक प्रति अपने अन्य ब्लाॅग पर लगाता था, जो ब्लाॅग स्पाॅट पर खट्ठा-मीठा नाम से ही खोला था। हालांकि उस पर अधिक लोग नहीं आते थे, लेकिन लेखों का संदर्भ लेने और उनको सुरक्षित रखने के लिए यह ब्लाॅग बहुत उपयोगी था।

उक्त लेख को नभाटा ने कई दिन तक लाइव नहीं किया, जबकि दूसरों के दो-दो लेख लाइव हो गये थे। तो मैंने नभाटा को लिखा कि इसको लाइव करें। उत्तर में उन्होंने बताया कि कई लोगों ने इस लेख की कुछ पंक्तियों पर आपत्ति की है, इसलिए इसे लाइव नहीं किया जा रहा है। मैंने उत्तर दिया कि किसको किन पंक्तियों पर आपत्ति है मु्रझे बतायें ताकि लेख को सुधारकर लगाया जा सके। इसका मुझे कोई उत्तर नहीं मिला और लगभग 7 दिन बाद सम्पादक मंडल ने स्वयं ही लेख को सुधारकर तथा शीर्षक बदलकर लाइव कर दिया। उसका लिंक नीचे है। नया शीर्षक था- “खिलाफत आन्दोलन और गाँधी”
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/…/%E0%A4%9…

दोनों लेखों की तुलना करके आप देख सकते हैं कि नभाटा के सम्पादक मंडल ने किस तरह मेरे लेख की मजबूत पंक्तियों पर चाकू चलाया है। खैर, ब्लाॅग जारी रखने के लिए मैं इसको सहन कर गया।

मेरे इस लेख पर गिने-चुने कमेंट ही आये और मुसलमान पाठक इससे दूर ही रहे, क्योंकि उनके पास कहने को कुछ था ही नहीं।

विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]

4 thoughts on “नभाटा ब्लाॅग पर मेरे दो वर्ष-3

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, नभाटा में ऐसी खबरें अक्सर आती रहती हैं. पता नहीं आपके शोधात्मक आलेखों पर उनको इतनी आपत्ति क्यों थी?

  • विजय भाई , आप के दोनों लेख पड़े और आप की बातों से मैं सहमत हूँ . इस में मैं एक ही बात कहूँगा कि भारत हिन्दू रिपब्लिक होना चाहिए था जैसे पाकिस्तान इस्लामिक देश है . अगर ऐसा उस समय हो जाता तो आज देश में शान्ति होती . इस में एक बात और भी ऐड करना चाहता हूँ ,मेरा अंदाजा है कि अगले सौ डेढ़ सौ साल बाद भारत में हिन्दू मुस्लिम की आबादी बराबर हो जायेगी किओंकि मुस्लिम बच्चे ज़िआदा पैदा करते हैं और हिन्दू सिख दो से ज़िआदा में विशवास नहीं करते .फिर समस्या और भी बड जायेगी .

  • विजय भाई , आप के दोनों लेख पड़े और आप की बातों से मैं सहमत हूँ . इस में मैं एक ही बात कहूँगा कि भारत हिन्दू रिपब्लिक होना चाहिए था जैसे पाकिस्तान इस्लामिक देश है . अगर ऐसा उस समय हो जाता तो आज देश में शान्ति होती . इस में एक बात और भी ऐड करना चाहता हूँ ,मेरा अंदाजा है कि अगले सौ डेढ़ सौ साल बाद भारत में हिन्दू मुस्लिम की आबादी बराबर हो जायेगी किओंकि मुस्लिम बच्चे ज़िआदा पैदा करते हैं और हिन्दू सिख दो से ज़िआदा में विशवास नहीं करते .फिर समस्या और भी बड जायेगी .

    • विजय कुमार सिंघल

      आपकी बात सही है भाईसाहब ! पूरी दुनिया में मुसलमान अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने में लगे हैं। इससे मुसलमानों की संख्या बढ़ती जा रही है और उसी अनुपात में संसार में अशांति भी बढ़ती जा रही है।

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