लघुकथा

लघुकथा-वफादार

पत्रकार ने फोटो हाथ में लिया,’ तीन कुत्ते आसपास जमीन पर गिरा खाना खा रहे थे और यही मरियल, फटेहाल, बेसहारा, भिखारी भी है इस में बैठा अपनी प्लेट में खाना खा रहा था ,’ इसी फोटो को दिखा कर उस ने पूछा, “ इस्पेक्टर साहब ! ये यही भिखारी है न ?”
“ जी हाँ !” इंस्पेक्टर साहब ने फोटो को गौर से देखा, “ इन कुत्तों ने कभी इसकी प्लेट में खाना नहीं खाया. मगर साथ इसी के रहते थे. जैसे इसने पाल रखे थे.”
“ मगर , इसे मारा किसने है ?”
“ इन्हीं कुत्तो ने नौच-नौच कर मार डाला.”
“ क्यों साहब ?” पत्रकार चौका, “ इन्ही कुत्तो ने मार डाला ? ये तो इसी के आसपास रहते थे .”
“ हाँ जी. कुत्ते रात को सूंघ कर समझ गए थे कि उनको रोज खाना खिलाने वाले मालिक का इस साले जासूस ने खून कर दिया था .”

*ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

नाम- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जन्म- 26 जनवरी’ 1965 पेशा- सहायक शिक्षक शौक- अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा- मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथ-साथ लघुकथाएं. शिक्षा-बीए ( तीन बार), एमए (हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, इतिहास) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा. समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिशत अंक के साथ अपने बैच में प्रथम. रचना प्रकाशन- सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, चैथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विशेष लेखन- चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाशन- लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार- साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकु, हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). मराठी में अनुदित और प्रकाशित पुस्तकें-१- कुंए को बुखार २-आसमानी आफत ३-कांव-कांव का भूत ४- कौन सा रंग अच्छा है ? संपर्क- पोस्ट आॅफिॅस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मप्र) संपर्कसूत्र- 09424079675 ई-मेल [email protected]

One thought on “लघुकथा-वफादार

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी लघुकथा !

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