सामाजिक

जल है तो कल है

पिछले साल , कई सालों के बाद , मुझे अपने पैतृक गाँव जाना हुआ था … वहाँ एक तालाब है , जो काफी बड़ा हुआ करता था ।उस तालाब से बचपन की काफी यादें जुडी हुई है ,कैसे मैं दोस्तों के साथ घण्टो उस तालाब में नहाता रहता था । मछलियाँ, घोंघे , कछुये , पानी वाले सांप बहुतायत थे ।तालाब में सिंघाड़े की खेती भी होती थी ,लगभग सारे साल पानी भरा ही रहता था तालाब में ।जानवरो को पानी पिलाना नहलाना सभी कुछ उसी तालाब से होता था यहाँ तक कि सिचाई भी ।

परन्तु जब इस बार गाँव गया तो यह देख कर बहुत दुःख हुआ कि तालाब सूखता जा रहा है , उसके आधे हिस्से में ही पानी बचा हुआ था …. वह भी मटमैला सा , लोग धीरे धीरे तालाब को पाटते जा रहे थे और अवैध कब्जा कर रहे थे । न तो अब कोई उस तालाब में नहाता था , न ही मछलियाँ ही उतनी थी , जानवरो को पानी पिलाना भी बंद था । तालाब में घरो की नालियां निकाल दीं गई थी , अधिकतर घरो में हैंडपंप लगे हुए थे जिस कारण सबने तालाब का उपयोग और देख रेख बंद कर दिया था । तालाब को मिटटी से पाट के उसे समतल बना कब्जे की प्रक्रिया धीरे धीरे चालू हो गई थी ….. इतने बड़े जल स्रोत का यह हाल देख के मन बहुत दुखी हुआ था ।

अभी ठीक से गर्मियां आई नहीं और पानी को लेके हाहाकार मचा हुआ है ,रोजाना ऐसी खबरे पढ़ने को मिल रही है जिनमे लोग बून्द बून्द पानी को तरस रहें है ।महाराष्ट्र कई इलाको में तो पानी के स्रोतो पर सशस्त्र पहरे भी बैठने की खबर है ताकि लोग पानी के लिए लड़े न ।दिल्ली में भी पानी को लेके आये दिन झगडे होते रहते हैं , जंहा टैंकर से पानी की सप्लाई होती है वंहा पानी को पहले भरने के लिए लोग मार पिटाई तक करने को तैयार रहते हैं कई बार ये झगड़े जानलेवा भी साबित होते हैं ।दिल्ली में कई इलाके ऐसे हैं जंहा पानी का लेवल 100 फिट से भी ज्यादा नीचे चला गया है , कँहा मुझे याद है की 30-40 फिट पर आज से 20-25 साल पहले पानी निकल आता था। अनधिकृत कालोनियो में आज कल हैण्डपम्स की जगह अब बोरींग ने ले ली है , जिससे जम के पानी की बर्बादी हो रही है ।

हर साल औसत से भी कम वर्षा , देश की हालत ख़राब बदतर किये जा रही है ।एक रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल में ntpc के एक बिजली बनाने वाले संयंत्र को इसलिए बंद करना पड़ा की उसको ठंडा करने के लिए पानी पर्याप्त नहीं मिल पा रहा था जिससे 40 हजार घरो में बिजली की किल्लत हो गई है । पिछले 10 सालो में भारत के 91 जलाशयो में केवल 25% पानी बचा है । नासा की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जलस्तर 0.3 मिटर की दर से हर साल जलस्तर गिर रहा है । बुंदेलखंड में बाँध सूख गए हैं ,हैंडपंप कुंओ तक से पानी गायब है ।

भारत में महाराष्ट्र और राजिस्थान में ऐसे इलाके हैं जहाँ पानी की इतनी किल्लत है कि वहाँ  ‘ वाटर वाइव्स ‘ यानि पानी वाली पत्निया रखी जाती है । इनकी संख्या हजारो में होंगी ,ये महिलाये किसी परिवार के पुरुष से इस लिए विवाह करती है कि उनके घरो की पानी की उपलब्धता कर सकें। चुकी पानी लाने के लिए कई किलो मीटर तक जाना पड़ता है अत: इन महिलाओं का काम केवल वँहा से पानी लाना होता है । केंद्र सरकार और राज्य सरकारो में जल संरक्षण की उपेक्षा और नीतियों में भिन्नता होने के कारण स्थिति बद से बदतर होती जा रही है ।

देश के प्रत्येक नागरिक को समझाना चाहिये कि पानी का स्रोत सिमित है अत: पानी का उपयोग सोच समझ के करना चाहिए । यदि पानी की बर्बादी यूँ ही चलती रही तो निश्चित ही आने वाली पीढ़ी के लिए एक गहरा संकट होगा ।जो जलाशय जैसे तालाव , नहरे आदि बचे हुए हैं उन पर अवैध कब्जे न किये जाएँ,बोरिंग(समरसीबल) के पानी का जरुरत के मुताबिक ही इस्तेमाल करना चाहियें।

बिना पानी के जीवन कैसा भयानक होगा इसकी कल्पना कर के ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं ।यदि ऐसे ही हालात रहें तो हो सकता है की आने वाले समय में देश में हिन्दू मुसलमान के दंगो की वजाय पानी के लिए दंगे आम बात हो जाएँ ।
वाटर वाइव्स जैसी कुप्रथाएँ व्यापक रूप से अस्तित्व में आ सकती है जंहा महिलाओं का बुरी तरह शारीरिक और मानसिक शोषण होता है ।

– केशव ( संजय)

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?

One thought on “जल है तो कल है

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा लेख! गाँव गाँव में बने हुए तालाब और बावड़ी वर्षा जल संचयन और संरक्षण के प्राकृतिक साधन थे। उनके नष्ट होने पर जल संकट होना अनिवार्य है।

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