राजनीति

जाति आधारित चुनावी सर्वेक्षण बंद हों

भारत में हिंदू लोगों में जातिवाद नही था वो किया मुगलों और अंग्रेजों ने. काले अंग्रेजों ने आजादी के बाद इसे पाला पोसा और आजा तक हरा भरा बना के रखा है. जातिवादक शब्द से अपमान करने पर एस की एस टी एक्त के अंदर जेल भेजा जाता है. लेकिन सबसे ज्यादा जाति सूचक शब्दों और जातिवाद फैलाता है अखबार और मीडीया वाला. वो हर चुनाव पर बताता है कि इस चुनावी क्षेत्र मे कितने सवर्ण हैं कितने मुस्लमान हैं कितने यादव है कितने कुर्मी हैं कितने दलित है और कितने अन्य है फिर वो सर्वे करके ओपिनियन पोल के जरीये देश मे जातिवाद को सिंचते रहते हैं.

आश्चर्य इस बात का है कि इस पर सरकारने रोक क्यु नही लगाई और सुप्रिम कोर्ट के किसी जज ने यह संज्ञान क्यु नही लिया कि देश मे जातिवाद फैलाने और क्रीएट करने का जिम्मेदार बामपंथी मीडीया वाला  ही और इन पर कार्यवाही हो. जातिवाद के जहर को समाप्त करने का एक ही तरीका है कि मीडीया पर जातिवाचक सर्वे पर चाहे चुनाव हो या न हो हमेशा के लिये रोक रहेगी. और सरकार का समाज कल्याण विभाग ही इसका काम करे. यदि ग्रुप मे कोई वकील हों तो निवेदन है जनहित मे एक पीआइएल दायर करे जिसमे आज के बाद चुनाव के समय या किसी भी समय कोई अखबार या मीडीया वाला  जातिगत आकडे कभी जारी नही करेगा.

— चन्द्रशेखर पंत

2 thoughts on “जाति आधारित चुनावी सर्वेक्षण बंद हों

  • विजय कुमार सिंघल

    मैं इससे अक्षरशः सहमत हूँ. जब जाती के आधार पर वोट माँगना वर्जित है, तो इस आधार पर सर्वेक्षण करना और मतदाता को उसकी जाती दे दिलाना क्यों वर्जित नहीं है? चुनाव आयोग को इस पर कठोर रवैया अपनाना चाहिए.

  • विजय कुमार सिंघल

    मैं इससे अक्षरशः सहमत हूँ. जब जाती के आधार पर वोट माँगना वर्जित है, तो इस आधार पर सर्वेक्षण करना और मतदाता को उसकी जाती दे दिलाना क्यों वर्जित नहीं है? चुनाव आयोग को इस पर कठोर रवैया अपनाना चाहिए.

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