कविता

“हाइकू”

तुक बंद है
कविता पसंद है
वाह रे वाह॥ -1
लिखता हूँ मैं
पढ़ता कोई और
आह्लाद है न॥– 2
साहित्य साथी
बड़े बड़े महारथी
शब्द चैन है॥– 3
गुम होते हैं
गुमनाम भी हैं ही
कवि है कवि॥– 4
छाप छापते
पन्नो पर पन्ना है
खूब सजाते॥– 5
खुश हो जाते
मन ही मुसुकाते
कहाँ अघाते॥- 6
लिख जाते हैं
शब्द की चाह बढ़ा
रास्त दिखाते॥– 7
रचनाकार
रच पच जाते हैं
खूब निभाते॥– 8
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

2 thoughts on ““हाइकू”

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छे व्यंग्यात्मक हाइकु !

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय विजय सर जी

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