आज की नारी अबला नहीं सबला हैं
आज की नारी अबला नहीं है सबला हैं।
हर वक्त अपनी कदम बढ़ाती अगला हैं।
यहाँ प्राचीन काल में भी पूजी गई नारी।
देवी-देवताओं में भी यही है दुर्गा काली।
यही सती-सावित्री और झाँसी की रानी।
आन्तरिक्ष में जाकर लौट आती है नारी।
विद्वता का पाठ पढाती है सबको नारी।
आज सर्वत्र दिखाती अपनी भागीदारी ।
स्वयं कर्तव्य से कभी विमुख नहीं नारी।
सभी कार्य सम्भालते हुए बच्चे पालती।
सृष्टि की रचना को अच्छे से सवाँरती।
हर वक्त ममतामयी आँसू छलकाती।
अपने भूखे रहकर दूसरे को खिलाती।
बुद्धि से सभी कार्य में तालमेल बैठाती।
सबला हैं, अबला नहीं आज की नारी।
________रमेश कुमार सिंह/०२-०२-२०१६