मुक्तक/दोहा

दोहे

१.
नमन करूँ माँ शारदे .. करुं विनय कर जोर।
विद्या का वरदान दो..करो ज्ञान की भोर ।।
२.
यह नर तन तुझको मिला,रख ले इसका मोल..

जब तक जीवन पास है,मधु सा मीठा बोल॥

३.
आत्मा रूपी नार का,ऐसा कर श्रृंगार

कट जाएं सब बंध भी,भव से हो तू पार…

४.
देह सजी श्रृंगार से ,मन के भीतर मैल

राम नाम के लेप से ,बनते बिगङ़े खेल…

५.
******
बैदेही को आग मेँ,पड़ी तपानी देह ।
तप के बिन ईश्वर नहीं,करे देह से नेह ।।
६.
******
नेताजी मत मांगते.. भरें वचन सौ साथ . .
रोती जनता बाद में. जोड़ जोड़ कर हाथ ।।
७.
*****
रिश्तों की अब देख लो … कैसी बदली धूप
बेटा तजकर लाज को…बनता घर का भूप…॥
८.
*****
धन से रिश्ता जोङते,मन में कर अभिमान . .
माया के इस स्वांग में .. खोते अपना मान . . ।।
९.
*****
जीवन पथ संघर्षमय,करो ज्ञान से प्रीति ।
योगी जन का कर्म पथ,सदा ज्ञान की नीति । ।
१०.
******
कोटि कोटि कंटक मिलें… लो साहस से काम
परम पिता का आसरा.. जग में चमके नाम ।।
११.
******
हो मन में सद्भावना…पर उपकारी रीति
सरल भाव सम्मान में.. रखते हैं प्रभु प्रीति ।।
१२.
******
दिन पर दिन बढ़ती गई ..आरक्षण विष बेल
जातिवाद है गोट सी …,…राजनीति है खेल॥
१३
******
आरक्षण के दंश से….झुलसा सकल समाज।
भेद दिलों में बो दिया……. करते नेता राज॥
*****
१४.

जीवन के इस खेल में, कैसी रेलम पेल..

खुद को ही मन ठग रहा,कर माया से मेल॥

१५.

पीकर प्याला प्रेम का ~ सब जग पागल होय

कोई पूजे प्रीति को~प्राण गँवाता कोय ।।

१६

पिया लगें परमात्मा ~करती प्रेम प्रलाप

प्रेम पुजारन आत्मा~ जाने पुण्य न पाप ।।

१७.

पुनि पुनि नाम पुकारते ~ देते प्रेम प्रमाण

प्रभु जी तेरी प्रीति में~ पगे हुए हैं प्राण।।

१८.

कठिन प्रतीक्षा की घड़ी~ पल पल अश्रु बहाय

प्रेम परीक्षा ले रहे~ प्रियतम पास न आय ।।

१९.

पैर पखारे प्रेम ने ~ प्रेम करे विषपान

प्रेम चखे फल झूठरे~ प्रेम रचे भगवान।।

२०.

प्रीति भाव पावन प्रबल~प्रीति रीति निष्काम

प्रीति लीन पाएं सदा ~प्रमुदित प्रभु पद धाम ।।

२१.

ह्रदय पुष्प की पंखुरी~ प्रेम बिना पाषाण

प्रेम हिलोरें मारता ~ मदन चलाएं बाण ।।

अंकिता

अंकिता कुलश्रेष्ठ

नाम:अंकिता कुलश्रेष्ठ पिता जी : श्री कामता प्रसाद कुलश्रेष्ठ माता जी: श्रीमती नीरेश कुलश्रेष्ठ शिक्षा : परास्नातक ( जैव प्रौद्योगिकी ) बी टी सी निवास स्थान : आगरा पता: ग्राम व पोस्ट सैयां तहसील खेरागढ़ जिला आगरा उत्तरप्रदेश

One thought on “दोहे

  • उसे हम बोल क्या बोलें जो दिल को दर्द दे जाये
    सुकूं दे चैन दे दिल को , उसी को बोल बोलेंगें

    ये रिश्तें काँच से नाजुक जरा सी चोट पर टूटे
    बिना रिश्तों के क्या जीवन ,रिश्तों को संभालों तुम

    गैर बनकर पेश आते, बक्त पर अपने ही लोग
    अपनो की पहचान करना अब नहीं आसान है

    बहुत शानदार

Comments are closed.