गीत/नवगीत

मां की महिमा

अंतर्राष्ट्रीय मातृदिवस (8.5.16 पर विशेष गीत)
मां की महिमा
हे मां हमें तेरे चरणों में, सुख तीन लोक का मिलता है
मिटें पाप-ताप-संताप यहां, मन-सुमन यहीं पर खिलता है-

1.हमें तूने ही है जन्म दिया, दुनिया तूने दिखलाई है
अब तो जिस ओर नज़र जाए, बस देती तू ही दिखाई है
नज़रों में (2) उजाले भर जाते, जब मुखड़ा तेरा दिखता है-हे मां हमें तेरे–

2.हम जहां रहें जैसे भी रहें, तुझको न भुला पाएंगे मां
तुझसे ही वजूद हमारा है, हम आभारी तेरे हैं मां
तेरा कोमल कर (2) सिर पर जो रहे, दुःख-दर्द का पर्वत हिलता है-हे मां हमें तेरे–

आप इस गीत को इस लिंक पर भी सुन सकते हैं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

8 thoughts on “मां की महिमा

  • मनमोहन कुमार आर्य

    बहुत अच्छी कविता वा भावनाएं। माँ के बारे में जितना भी कहा व सुना जाए, काम है। सादर नमस्ते बहिन जी।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लाजवाब सृजनबहन जी प्रणाम

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकिशोर भाई जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • नीतू सिंह

    बढियां

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी नीतू जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद.

  • अत्ति सुन्दर कविता .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

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