कुछ दोहे “माँ” पर
मां से बढ़कर जानिए, नहीं जगत में कोय।
कुछ भी कर संतान ले, मां से उऋण न होय।।
माता का दिल सिंधु है, जननी बड़ी उदार।
जो मां की सेवा करे, उसका हो उद्धार।।
मां गंगा की धार है, तन-मन करे पवित्र।
उससे बढ़कर कौन है, इस दुनिया में इत्र।।
करुणा की देवी कहो, मां का दिल है मोम।
हित में वह संतान के, जीवन करती होम।।
मां को कष्ट न दीजिए, उसका रखिए मान।
जो मां की सेवा करे, जग में वही महान।।
करती व्रत-उपवास है, सुखी रहे संतान।
मां से बढ़कर कौन है, बोलो यहां महान।।
मां ममता की खान है, उसका रखिए ध्यान।
सबको जग में दीजिए, मां -सेवा का ज्ञान।।
मां के चरणों में दिखा, जिसको चारोंधाम।
‘नीता’ भव से पार वो, जाता है सुरधाम।।
— नीता सैनी, दिल्ली
प्रिय सखी नीतू जी, मां की महिमा को दर्शाने वाले अति सुंदर दोहों के लिए आभार.