मुक्तक/दोहा

कुछ दोहे “माँ” पर

मां से बढ़कर जानिए, नहीं जगत में कोय।
कुछ भी कर संतान ले, मां से उऋण न होय।।

माता का दिल सिंधु है, जननी बड़ी उदार।
जो मां की सेवा करे, उसका हो उद्धार।।

मां गंगा की धार है, तन-मन करे पवित्र।
उससे बढ़कर कौन है, इस दुनिया में इत्र।।

करुणा की देवी कहो, मां का दिल है मोम।
हित में वह संतान के, जीवन करती होम।।

मां को कष्ट न दीजिए, उसका रखिए मान।
जो मां की सेवा करे, जग में वही महान।।

करती व्रत-उपवास है, सुखी रहे संतान।
मां से बढ़कर कौन है, बोलो यहां महान।।

मां ममता की खान है, उसका रखिए ध्यान।
सबको जग में दीजिए, मां -सेवा का ज्ञान।।

मां के चरणों में दिखा, जिसको चारोंधाम।
‘नीता’ भव से पार वो, जाता है सुरधाम।।

नीता सैनी, दिल्ली

नीता सैनी

जन्म -- 22 oct 1970 शिक्षा -- स्नातक लेखन -- कविता , लघुकथा प्रकाशन -- पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित संपर्क -- घर का पता 117 , मस्जिद मोठ , नई दिल्ली - 110049 पत्र व्यवहार के लिए ऑफिस का पता -- नीता सैनी - न्यू जगदम्बा टेंट हाउस L - 505 / 4 -- शनि बाजार संगम विहार , नई दिल्ली - 80

One thought on “कुछ दोहे “माँ” पर

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी नीतू जी, मां की महिमा को दर्शाने वाले अति सुंदर दोहों के लिए आभार.

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