पानी पानी पानी
आज की है ये चीखो-पुकार
पानी पानी पानी…
जनता है परेशान, नेता हैं हैरान
कहां से लायें पानी पानी पानी…
नदी नाले बोर कुएं सभी हो चुके हैं खाली
कहते हैं लोग कहां से लायें पानी पानी पानी
दिन गुजरे खाली पेट
जिसके बगैर एक पल न हो गुजार
वो है पानी पानी पानी
राह जिसकी देखे किसान
जिसके न मिलने से जाए जान
वो है पानी पानी पानी
आज बिके जो महँगे दाम
जिसके बगैर न हो कोई काम
वो है पानी पानी पानी
धरती जिसके लिए तरसे
अंबर से फिर भी न बरसे
वो है पानी पानी पानी
— सय्यद ताहेर
अच्छी कविता ,जब बार्ष होती है तो लोग पानी को संभालते नहीं और इस तरफ कोई धियान ही नहीं देता ,