कविता : हम मुस्कुराने लगे हैं !
जिनको कभी थे… हम नज़रंदाज़ करते,
बन धड़कन वो दिल में, समाने लगे हैं !
आजकल बेवजह… हम मुस्कुराने लगे हैं !!
बदलने लगा है… कुछ अंदाज़ अपना,
चुप रहते थे पर, अब गुनगुनाने लगे हैं !
आजकल बेवजह… हम मुस्कुराने लगे हैं !!
जिन आँखों में कभी था… अश्कों का समन्दर
उन आँखों में सपने, सजाने लगे हैं !
आजकल बेवजह… हम मुस्कुराने लगे हैं !!
सजाए हैं जिनके… ख्यालों में मेले,
ख्वाबों में उनके हम भी, अब आने लगे हैं !
आजकल बेवजह… हम मुस्कुराने लगे हैं !!
— अंजु गुप्ता
अति सुंदर.
हार्दिक धन्यवाद
शुक्रिया
बहुत सुंदर, कविता !
हार्दिक धन्यवाद