धन्य तुम्हारे भाग
अकबर बीरबल का किस्सा, सुनो ध्यान चित्त लाय,
अकबर पूछे प्रश्न कई, बीरबल दियो बताय.
अकबर ने पूछा, ”कहो, कितने कौवे देश?”
बीरबल बोला, ”जी हुजूर, गिनकर कहूं संदेश.”
एक लाख हज़ार दस, पांच गिने महाराज,
अकबर बोले गलत तो? गए काम से आज.
बीरबल बोला, ”गलत तो, हो न सकें महाराज,
गिनती बढ़े तो मित्र हैं, घूमने आए आज.
गिनती घटी तो घूमने, गए हमारे काग,
अकबर-दरबारी हंसे, ”धन्य तुम्हारे भाग.”
नमस्ते बहिन जी। कविता अच्छी लगी। विचार करने पर लगता है कि अकबर – बीरबल सम्बन्धी सभी बातें किसने लिखी व संगृहीत की होंगी। कई पर इनकी सत्यता पर भी संदेह होता है। लगता है कि यह किसी लेखक के अपने निजी विचार हैं जिसमे कुछ सत्यता और कुछ कल्पना का पुट है। बहिन जी ! आपकी पंक्तियों व शब्दों में जादू है। हार्दिक आभार एवं धन्यवाद।
प्रिय मनमोहन भाई जी, अकबर-बीरबल सम्बन्धी सभी बातें किसने लिखी व संगृहीत की हों, पर हैं ये रोचक, शिक्षाप्रद और ज्ञानदाई, इसलिए बचपन से अब तक मन को लुभा रही हैं. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
नमस्ते एवं हार्दिक धन्यवाद आदरणीय बहिन जी। आपने जो कहा वह सत्य एवं स्वीकार्य है। सादर।
बीरबल की हाजर्जवाबी भी कमाल की थी , कविता अच्छी लगी .
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपकी हाज़िर जवाबी भी तारीफ़े-काबिल है. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.