बच्चों की फुलवारी
फुलवारी मैं फुलवारी,
बच्चों की मैं फुलवारी,
इन्हें देख मैं खुश हो जाती,
भाए इनकी किलकारी.
जैसे सुमन मुझे हैं प्यारे,
बच्चे भी मुझको प्यारे,
इनके बिना मैं सूनी लगती,
रात में ज्यों नभ बिन तारे.
आओ मेरी गोद में खेलो,
सुमन तोड़ मत छितराना,
अच्छा नहीं मसलना इनको,
और मसलकर बिखराना.
यह जीवन है प्रेम की खातिर,
प्रेम से हिलमिल कर रहना,
प्रेम से फूले जीवन-बगिया,
प्रेम ही जीवन का गहना.
लीला बहन , कविता बहुत ही सुन्दर है ,ऐसे ही जीवन हो तो कहने ही क्या . यह जीवन है प्रेम की खातिर,
प्रेम से हिलमिल कर रहना,
प्रेम से फूले जीवन-बगिया,
प्रेम ही जीवन का गहना.
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने कविता का सार ढूंढ निकाला है. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
प्रेम वो चीज़ है, जो इंसान को कभी मुरझाने नहीं देता,
नफ़रत वो चीज़ है, जो इंसान को कभी खिलने नहीं देती.
बेहद खूबसुरत रचना
प्रिय सखी विभा जी, बेहद खूबसूरत नज़रिए के साथ, बेहद खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.