शिशुगीत

बच्चों की फुलवारी

फुलवारी मैं फुलवारी,
बच्चों की मैं फुलवारी,
इन्हें देख मैं खुश हो जाती,
भाए इनकी किलकारी.

जैसे सुमन मुझे हैं प्यारे,
बच्चे भी मुझको प्यारे,
इनके बिना मैं सूनी लगती,
रात में ज्यों नभ बिन तारे.

आओ मेरी गोद में खेलो,
सुमन तोड़ मत छितराना,
अच्छा नहीं मसलना इनको,
और मसलकर बिखराना.

यह जीवन है प्रेम की खातिर,
प्रेम से हिलमिल कर रहना,
प्रेम से फूले जीवन-बगिया,
प्रेम ही जीवन का गहना.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

5 thoughts on “बच्चों की फुलवारी

  • लीला बहन , कविता बहुत ही सुन्दर है ,ऐसे ही जीवन हो तो कहने ही क्या . यह जीवन है प्रेम की खातिर,

    प्रेम से हिलमिल कर रहना,

    प्रेम से फूले जीवन-बगिया,

    प्रेम ही जीवन का गहना.

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने कविता का सार ढूंढ निकाला है. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

    • लीला तिवानी

      प्रेम वो चीज़ है, जो इंसान को कभी मुरझाने नहीं देता,

      नफ़रत वो चीज़ है, जो इंसान को कभी खिलने नहीं देती.

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    बेहद खूबसुरत रचना

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी विभा जी, बेहद खूबसूरत नज़रिए के साथ, बेहद खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

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