गीत/नवगीत

गीत : अब न सहेंगे…

अब ना सहेंगे कोई हमला,
अपने देश की माटी पर,
सीमा लांघ के चढ़ जाएंगे,
आतंकियों की छाती पर,
छप्पन इंची सीना अपना,
सबको अब दिखला देंगे,
देश के गद्दारों को छठी के,
दूध की याद दिला देंगे,
सोए हुए शेरों को तुमने,
पत्थर मार जगाया है,
अपने ही हाथों से अपनी,
मौत को आप बुलाया है,
ओछी हरकत पर तुम्हारी,
बार-बार चेताया था,
अपनी गोदी में बिठलाकर,
सर पे हाथ फिराया था,
पर तुमने कमजोरी देखी,
प्यार की इस परिभाषा में,
अब हम तुमसे बात करेंगे,
तुम्हारी ही भाषा में,
जो भी आँख उठाएगा अब,
ढूँढ-ढूँढ कर मारेंगे,
चुन-चुन कर इस देश के दुश्मन,
मौत के घाट उतारेंगे,
जो भी इन्हें पनाह देगा,
उसको भी साथ सज़ा देंगे,
अलगाववादियों के घर की,
हम ईंट से ईंट बजा देंगे,
हम प्रताप के वंशज हैं,
और पृथ्वीराज के बेटे हैं,
अपने सम्मान की खातिर हम,
सौ बार आग पर लेटे हैं,
गुरू गोबिंद और शिवाजी का,
है खून हमारी रग-रग में,
बाहों में फौलाद भरा है,
और बिजली है नस-नस में,
जयचंद की औलादों के,
अब सभी ठिकाने तोड़ेंगे,
इस आतंक के महिषासुर को,
हम जिंदा अब ना छोड़ेंगे,
कसम है हमको मातृभूमि की,
इसकी शान बचानी है,
कफन बाँध कर घर से निकला,
अब हर हिंदुस्तानी है,

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]