ये मौसम आशिकाना हो गया है
ये मौसम आशिकाना हो गया है
मुहब्बत का बहाना हो गया है ।।1।।
जरा देखो निगाहों में हमारी
किसी का अब ठिकाना हो गया है ।।2।।
बहुत सोचा कि हम दामन बचा लें
मगर ये दिल दीवाना हो गया है ।।3।।
चला है जिक्र महफ़िल में हमारा
समां जैसे सुहाना हो गया है ।।4।।
चलो हम भी जरा सा गुनगुना लें
सफर ये शायराना हो गया है ।।5।।
निगाहों से हमें करते हैं घायल
बड़ा पक्का निशाना हो गया है ।।6।।
रमा जीवन का ये मुश्किल सफ़र भी
लो खुशियों का खजाना हो गया है ।।7।।
रमा प्रवीर वर्मा……………………………..
बहुत सुंदर गज़ल
बहुत बहुत शुक्रिया अंकिता जी..