गीतिका/ग़ज़ल

ये मौसम आशिकाना हो गया है

ये मौसम आशिकाना हो गया है

मुहब्बत का बहाना हो गया है ।।1।।

जरा देखो निगाहों में हमारी

किसी का अब ठिकाना हो गया है ।।2।।

बहुत सोचा कि हम दामन बचा लें

मगर ये दिल दीवाना हो गया है ।।3।।

चला है जिक्र महफ़िल में हमारा

समां जैसे सुहाना हो गया है ।।4।।

चलो हम भी जरा सा गुनगुना लें

सफर ये शायराना हो गया है ।।5।।

निगाहों से हमें करते हैं घायल

बड़ा पक्का निशाना हो गया है ।।6।।

रमा जीवन का ये मुश्किल सफ़र भी

लो खुशियों का खजाना हो गया है ।।7।।

 

रमा प्रवीर वर्मा……………………………..

रमा वर्मा

श्रीमती रमा वर्मा श्री प्रवीर वर्मा प्लाट नं. 13, आशीर्वाद नगर हुड्केश्वर रोड , रेखानील काम्प्लेक्स के पास नागपुर - 24 (महाराष्ट्र) दूरभाष – ७६२०७५२६०३

2 thoughts on “ये मौसम आशिकाना हो गया है

  • अंकिता कुलश्रेष्ठ

    बहुत सुंदर गज़ल

    • रमा वर्मा

      बहुत बहुत शुक्रिया अंकिता जी..

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