ग़ज़ल : जीवन एक झमेला है
जीवन एक झमेला है
सुंदर सपनो का मेला है !!
जग जिसको न रोक सका
बहते पानी का रेला है !!
गुड्डे-गुड़ियाँ, खेल-तमाशे
पल दो पल का मेला है !!
दुश्मन जिससे थर-थर काँपे
ये देशी-बम का गोला है !!
जिसका चलन हुआ है बंद
वो खोटा सिक्का धेला है !!
रस्सी ऊपर खेल दिखते
नट-नटनी का मेला है !!
मनचाहा आकार बना लो
गीली मिट्टी का ढेला है !!
पैसो खातिर मेल कर रहे
कच्ची – शक़्कर का चेला है !!
— साधना अग्निहोत्री