गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : जीवन एक झमेला है

जीवन एक झमेला है
सुंदर सपनो का मेला है !!

जग जिसको न रोक सका
बहते पानी का रेला है !!

गुड्डे-गुड़ियाँ, खेल-तमाशे
पल दो पल का मेला है !!

दुश्मन जिससे थर-थर काँपे
ये देशी-बम का गोला है !!

जिसका चलन हुआ है बंद
वो खोटा सिक्का धेला है !!

रस्सी ऊपर खेल दिखते
नट-नटनी का मेला है !!

मनचाहा आकार बना लो
गीली मिट्टी का ढेला है !!

पैसो खातिर मेल कर रहे
कच्ची – शक़्कर का चेला है !!

साधना अग्निहोत्री 

साधना अग्निहोत्री

Birth -- 13 / 10 /1964 Siksha -- M A / Economics