~~तमाशबीन~~
सुधा और अलका दोनों पड़ोसी एक दूजे के सुख दुःख में हमेशा साथ होते। सुधा की बिटिया जब-जब बिमार पड़ती, अलका का कन्धा उसे हमेशा सुकून देने को तैयार रहता।
अचानक एक दिन बिटिया का इंतकाल हो गया । बहुत भीड़ इकट्ठा हुई। दो दिन बाद जब अलका सुधा के घर आई तो उसको देखते ही सुधा फफक कर बोली, “मेरे दुःख में तू भी छोड़ दी मुझे अकेला। ”
“अरे नहीं , उस दिन की भीड़ देख मुझे लगा तेरे अपने तो बहुत है । वो सब तेरा दर्द बाँट रहें होंगे। ”
“कहा रे , सब को जरुरी काम ! समय कहाँ किसी के पास जो दो घड़ी मेरा दुःख बांटते । सब के सब तमाशबीन थे ; मेरे दर्द की इन्तहा देखने आये थे, देख उसी दिन चले गए ।