समय हमें बुलाता है
एक ही दिशा में बढ़ना समय की फितरत है,
हम साथ चल दिए तो ठीक वरना,
समय हमें पीछे छोड़ खुद आगे बढ़ जाता है,
समय नहीं ठहर पाता है.
साहस हो तो मोड़ दो समय के धारे,
ऐसा कर सके तो हो जाएंगे वारे न्यारे,
समय खुद नहीं मुड़ेगा भले ही सालों बीत जाएं,
समय नहीं मुड़ पाता है.
समय का चक्का अपनी दिशा में बढ़ता जाए,
समय कार का पहिया नहीं जो रिवर्स गियर से मुड़ जाए,
आइए हम ही समय के कदम-से-कदम मिलाकर चलें,
समय हमें बुलाता है.
समय कार का पहिया नहीं जो रिवर्स गियर से मुड़ जाए, univarsal truth . समय के साथ चलना ही समझदारी है , एक उदाहरण सास बहू के झगडे को ही ले लें बात समझ में आ जायेगी . सभी सासू माँ वैसी तो नहीं होती लेकिन कुछ अपनी जवानी के दिन भूल जाती हैं और बहु को अपने कंट्रोल में रखना चाहती हैं, जिस के कारण झगडे बड़ते बड़ते to the point of no return पर पहुँच जाते हैं .
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. हमारा भी यही विचार है. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.