कविता

कविता : संस्कार

आज हमे जरूरत है जीवन में कुछ अच्छे संस्कार की
संस्कार ही एकमात्र औषधि है व्याकुल संसार की ..

.हम सभी का दुर्भाग्य कि भुला दिया संस्कारो को
आँख मूंद कर अपनाया हमने पाश्चात्य संस्कृति को
इन सबका परिणाम है भूल गये हम मानवता को
अनाचार-अन्याय हिंसा में भटका दिया अपनी राहों को..

आवश्यकता है पुन: उस देवीय आविष्कार की ..
संस्कार ही एकमात्र औषधि है व्याकुल संसार की ..

आओ ले संकल्प कि फिर से संस्कार अपनाएंगे
ऋषि प्रेणित जीवन शेली से प्रबल प्रेरणा पाएंगे
प्रेम से हिल-मिल रहे एक विश्वास की आस्तिकता लहराएगी
मानवता फिर एक विलक्षण जीवन का पथ पायेगी ..

राह तजेगी दुनिया पतन -पराभव -पापाचार की ..
संस्कार ही एकमात्र औषधि है व्याकुल संसार की ..

आज हमे जरूरत है जीवन में कुछ अच्छे संस्कार की
संस्कार ही एकमात्र औषधि है व्याकुल संसार की ..

स्वाति (सरू) जैसलमेरिया

स्वाति जैसलमेरिया

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