कविता

मुस्कुराता चल

राहें कठिन हैं
किन्तु मुस्कुराता चल
अपने दृढ संकल्प से
काँटों को कुचल
तारों को देखना है
रातों को जाग
कदम बढ़ा आगे
संघर्ष से न भाग
पुरुषार्थ में छुपा है
मुसीबतों का हल
सिन्धु में तैरना है
तूफ़ान से न डर
तान के सीना
लहरों का सामना कर
कठिनाइयाँ तो पल में
हो जायेंगी सरल
संकीरंताएँ छोड़ के
हृदय को विशाल कर
अनंत कामनाओं को
रखले संभाल कर
उसर भूमि पर भी
लहराएगी फसल l
नदिया ने अपना रास्ता
स्वयं बनाया
चमन ने अपना
जीवन खूब सजाया
लक्ष्य पाओगे
जो इरादे हों अटल
अग्रगामी हो
पीछे न हटना
निकृष्ट मार्ग पर भी
कभी न रुकना
संघर्ष की राह पे
हो जाओगे सफल

अर्जुन सिंह नेगी

नाम : अर्जुन सिंह नेगी पिता का नाम – श्री प्रताप सिंह नेगी जन्म तिथि : 25 मार्च 1987 शिक्षा : बी.ए., डिप्लोमा (सिविल इंजीनियरिंग), ग्रामीण विकास मे स्नातकोत्तर डिप्लोमा। पेशा : एसजेवीएन लिमिटेड (भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम) में सहायक प्रबन्धक के पद पर कार्यरत l लेखन की शुरुआत : सितम्बर, 2007 से (हिमप्रस्थ में प्रथम कविता प्रकाशित) l प्रकाशन का विवरण (समाचार पत्र व पत्रिकाएँ): दिव्य हिमाचल (समाचार पत्र), फोकस हिमाचल साप्ताहिक (मंडी,हि.प्र.), हिमाचल दस्तक (समाचार पत्र ), गिरिराज साप्ताहिक(शिमला), हिमप्रस्थ(शिमला), प्रगतिशील साहित्य (दिल्ली), एक नज़र (दिल्ली), एसजेवीएन(शिमला) की गृह राजभाषा पत्रिका “हिम शक्ति” जय विजय (दिल्ली), ककसाड, सुसंभाव्य, सृजन सरिता व स्थानीय पत्र- पत्रिकाओ मे समय- समय पर प्रकाशन, 5 साँझा काव्य संग्रह प्रकशित, वर्ष 2019 में अंतिका प्रकाशन दिल्ली से कविता संग्रह "मुझे उड़ना है" प्रकाशितl विधाएँ : कविता , लघुकथा , आलेख आदि प्रसारण : कवि सम्मेलनों में भागीदारी l स्थायी पता : गाँव व पत्रालय –नारायण निवास, कटगाँव तहसील – निचार, जिला – किन्नौर (हिमाचल प्रदेश) पिन – 172118 वर्तमान पता : निगमित सतर्कता विभाग , एसजेवीएन लिमिटेड, शक्ति सदन, शनान, शिमला , जिला – शिमला (हिमाचल प्रदेश) -171006 मोबाइल – 09418033874 ई - मेल :[email protected]

4 thoughts on “मुस्कुराता चल

  • लीला तिवानी

    प्रिय अर्जुन भाई जी, अति सुंदर व प्रेरक कविता के लिए आभार.

    • अर्जुन सिंह नेगी

      उत्साह वर्धन हेतु धन्यवाद

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    वाह
    प्रेरक रचना

    • अर्जुन सिंह नेगी

      धन्यवाद

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