कविता

कविता : जिन्दगी – इक रंगमंच

जिन्दगी इक रंगमंच है
जिसके कईं रंग रूप हैं
कभी छाऊँ तो कभी धूप है !

कभी सुख की मिलती छाया है
कभी गम के बादलों का साया है !

कभी आशा होती पास है
कभी निराशा का एहसास है !

कभी सफलता कदम चूमती है
कभी असफलता पास घूमती है !

कभी फूलों की सेज पर चलते हैं कदम
कभी काँटों का दामन देता है गम !

कभी धन दौलत का होता है नाम
कभी गरीबी करती है जीना हराम !

कभी बसंत में खिल उठती हैं कलियाँ
कभी पतझड़ में बिखर जाती है पत्तियां !

कभी वक्त होता है बलवान
कभी बन सकता है हैवान !

कितना कुछ है इस जिन्दगी में
कुछ भी नहीं है स्थाई
बस परिवर्तन ही है इस जिन्दगी में !

डॉ सोनिया

डॉ. सोनिया गुप्ता

मैं डॉ सोनिया गुप्ता (बी.डी.एस; ऍम.डी.एस) चंडीगढ़ के समीप,डेराबस्सी शहर में रहने वाली हूँ! दंत चिकित्सक होने के साथ साथ लिखना मेरा शौंक है! २००५ में पहली बार मैंने कुछ लिखने की कोशिश में अपनी कलम उठाई थी और, आगे ही आगे लिखने का सफर चलता रहा! कुछ कविताएँ हरियाणा की पत्रिका “हरिगंधा में प्रकाशित हुई! मेरी हाल ही में दो काव्य संग्रह प्रकाशित हुई हैं! मैं अंग्रेजी में भी कविताएँ लिखती हूँ, और कुछ पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुई! मेरे तीन अंग्रेजी और तीन हिंदी के काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होने वाले हैं! कवियत्री होने के साथ साथ मुझे चित्रकारी, गायिकी, सिलाई, कढाई, बुनाई, का भी हुनर प्राप्त है! मेरे जीवन की अनुकूल परिस्थितयों ने मुझे इन सब कलाओं का अस्तित्व प्रदान किया! कहते हैं, ”इरादे नेक हों तो सपने भी साकार होते हैं, अगर सच्ची लग्न हो तो रास्ते भी आसान होते हैं”..अपनी लिखी इन्हीं पंक्तियों ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया आगे बढने के लिए ! मेरा हर कार्य मेरे ईश्वर, मेरे माता पिता को समर्पित है, जिनके आशीष से मैं आज इस मुकाम तक पहुंची हूँ ! आशा है मेरी कलम से तराशे शब्द थोड़े बहुत पसंद अवश्य आएँगे सभी को!!!

One thought on “कविता : जिन्दगी – इक रंगमंच

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सच्ची रचना

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