लघुकथा

लघुकथा : और दोनों फिर से बच्चे बन गए

उस दिन सुयश (40)और महेश(45) का खूब जमकर झगड़ा हुआ । दोनों की लाल आँखों से क्रोध तांडव कर रहा था । तांडव से लोग भयभीत थे । झगड़े का कारण बहुत मामूली था । तिल ने ताड़ का और राई ने विशाल पर्वत का रूप धारण कर लिया था । कुछ पल बिता तो दोनों कुछ शांत हुए । अगले ही पल दोनों एक दूसरे के गले में हाथ डालकर हँसते मुस्कुराते हुए  फ़िल्म देखने चले गए। लोगों में यह चर्चा का विषय बन गया ।

अबतक गौर से सुन रहे गौरव ने अपने  अध्यापक से प्रश्न किया- ” सर, दोनों में इतना बड़ा झगड़ा हुआ । कुछ पल बाद झगड़ा भूलकर  हँसते- मुस्कुराते हुए वे फ़िल्म देखने चल दिए । यह कैसे ?”

“गौरव, बात आश्चर्य और हँसाने वाली लगती हैं । हैं ना ? पर  तुम्हे पता हैं; यह कैसे सम्भव हुआ ? नहीं ना ? मैं बताता हूँ। सुयश ने महेश से सिर्फ एक बात कहीं और दोनों पूर्ववत मित्र बन गए ।”

” वह कौन-सी बात हैं सर ? जल्दी बताओं ।”

“तो सुनो, सुयश ने महेश से क्या कहा,’ महेश क्या तुम्हे याद हैं, जैसे हम बचपन में झगड़ा करते थे और कुछ क्षण बाद फिर से भूल जाते थे । क्या हम फिर से बच्चे बन सकते हैं ?’ और दोनों फिर से बच्चे बन गए ।”

 डॉ. सुनील जाधव

डॉ. सुनील जाधव

डॉ.सुनील गुलाबसिंग जाधव कवि,कहानीकार,अनुवादक,समीक्षक,सम्पादक,ब्लॉगर एम.ए.हिंदी / नेट/ पी.एच.डी. जन्म :०१/०९/१९७८ *पता : महाराणा प्रताप हाउसिंग सोसाइटी ,हनुमान गड कमान के सामने, नांदेड -५ प्रकाशित पुस्तकों की सूचि : १.शोध ग्रन्थ/समीक्षा : १.नागार्जुन के काव्य में व्यंग का अनुशीलन [ विमोचन-नांदेड] . २.हिंदी साहित्य विविध आयाम [ विमोचन-दुबई ] ३.हिंदी साहित्य:दलित विमर्श २. कहानी संग्रह : १.मैं भी इंसान हूँ [ विमोचन-ताशकंद ] २.एक कहानी ऐसी भी [ विमोचन-कम्बोडिया ] ३.कविता संग्रह : १.मैं बंजारा हूँ [ विमोचन-ताशकंद ] २.सच बोलने की सजा [ विमोचन-कम्बोडिया ] ३.रौशनी की ओर बढ़ते कदम ४.त्रिधारा ५.मेरे भीतर मैं ४. एकांकी : १.भ्रूण [ विमोचन-दुबई ] ५. अनुवाद : १.सच का एक टुकड़ा [ विमोचन-ताशकंद ] *राष्ट्रिय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग पचास आलेख प्रकाशित *अलंकरण : १. अंतर्राष्ट्रीय सृजन श्री पुरस्कार [ताशकंद] २. अंतर्राष्ट्रीय सृजन श्री पुरस्कार [दुबई] ३.भाषा रत्न [दिल्ली] ४.अंतर्राष्ट्रीय प्रमोद वर्मा सम्मान, [कम्बोडिया ] ५.राष्ट्रभाषा गौरव [इलाहाबाद ] ६.अंतर्राष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता, मोरिशियस का प्रथम पुरस्कार [मोरिशियस] *विदेश यात्रा : १.उज्बेक [रशिया ] २.यू.ए.इ ३.व्हियतनाम ४.कम्बोडिया ५.थायलंड *विभिन्न राष्ट्रिय अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में आलेख, कविता, कहानियाँ प्रकाशित :- जय विजय, नव्या,विश्वगाथा, खबर प्लस, सृजन गाथा, प्रवासी दुनिया, रचनाकार, पुरवाई, रूबरू, हिंदी चेतना, अम्स्टेल गंगा, साहित्य सरिता, आर्य संदेश, नव निकष, नव प्रवाह, १५ डेज, अधिकार, रिसर्च लिंक, शोध समीक्षा एवं मूल्यांकन, संचारिका, हिंदी साहित्य आकादमी शोध पत्रिका,केरल ..आदि | *आकाशवाणी पर मुलाखत एवं काव्य वाचन *ब्लॉग : navsahitykar.blogspot.com वेबसाईट : www.navsahitykar.com सम्पादक : १.नव साहित्यकार २.शोध-ऋतु *काव्य वाचन : १. अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन, ताशकंद २. अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन,दुबई ३. विश्व कवि सम्मेलन, कैनडा ४. अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन,कम्बोडिया *सम्प्रति : हिंदी विभाग,यशवंत कॉलेज, नांदेड *चलभाष :- ०९४०५३८४६७२ *ई मेल : [email protected]

One thought on “लघुकथा : और दोनों फिर से बच्चे बन गए

  • लीला तिवानी

    अति सुंदर.

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