ग़ज़ल
ज़ख़्म पर ज़ख़्म दिए जाते हो
कितने अहसान किए जाते हो ।
दिल पहले ही ले चुके हो तुम
और अब जान लिए जाते हो।
धड़कने मचल उठी हैं सीने में
यूँ वार पर वार किए जाते हो ।
दे दिया मुझे यादों भरा कारवाँ
मेरी तन्हाई साथ लिये जाते हो ।
दर्द कहना भी बहुत मुश्किल है
मेरे लबों को भी सिए जाते हो ।
उदासी चेहरे पे छलक उठी तेरे
जाम अश्कों के पिए जाते हो।
जिन्दगी कट गई दूरियाँ ही रहीं
फिर भी हँस के जिए जाते हो।
देखा ‘जानिब’ तुम लगे अपने
तोफा ए ज़िंदगी यार दिए जाते हो।
— पावनी दीक्षित ‘जानिब’