कविता

मैं

मन बड़ा अस्थिर
शायद तभी चंचल भी
ठहराव पाने की जुगत में
भौतिक शक्तियाँ
कर देती भ्रमित
फिर से भटकने लगता मन

यही क्रम में उम्र को
पीछे मुड़कर नहीं देख पाता इंसान
अहंकार का दिखावा
उसमे नई -नई सोच
विकसित करता
किंतु मृत्यु का भय कचोटने पर
मन स्मरण करता आराध्य   का

तब अहंकार से “मै “का बल
अपने आप घटने लगता
और तब इंसान कह उठता
वो है ऊपर वाला
“मै “कुछ भी नहीं

संजय वर्मा “दृष्टि “

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /[email protected] 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच

2 thoughts on “मैं

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर

Comments are closed.