“कुण्डलिया”
हर सुबहा की लालिमा, लाए खुशी अपार
हनुमान सी सोच लिए, बालक है तैयार
बालक है तैयार, पकड़ लूँ सूरज दादा
होनहार की धार, मनोरथ पुरे विधाता
कह गौतम कविराय, न लागे बच्चों को डर
कौतुक भल सोहाय, बाबा बमबम हरी-हर॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
हर सुबहा की लालिमा, लाए खुशी अपार
हनुमान सी सोच लिए, बालक है तैयार
बालक है तैयार, पकड़ लूँ सूरज दादा
होनहार की धार, मनोरथ पुरे विधाता
कह गौतम कविराय, न लागे बच्चों को डर
कौतुक भल सोहाय, बाबा बमबम हरी-हर॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
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बहुत सुंदर !
सादर धन्यवाद आदरणीय विजय सर जी
आपका हर छन्द लाजवाब होते हैं आदरणीय!!
हार्दिक धन्यवाद मित्रवर रमेश जी