कविता

“कुण्डलिया”

हर सुबहा की लालिमा, लाए खुशी अपार
हनुमान सी सोच लिए, बालक है तैयार
बालक है तैयार, पकड़ लूँ सूरज दादा
होनहार की धार, मनोरथ पुरे विधाता
कह गौतम कविराय, न लागे बच्चों को डर
कौतुक भल सोहाय, बाबा बमबम हरी-हर॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

4 thoughts on ““कुण्डलिया”

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर !

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय विजय सर जी

    • महातम मिश्र

      हार्दिक धन्यवाद मित्रवर रमेश जी

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