कविता

“पद”

 

उधो कृष्ण सखा पहीं जाओ
ग्वाल बाल गैया तड़फत हैं, का तकि इन विसरायो।
काली भई घिरी फिर यमुना, नाग कालिया आयो।।
बैरन बगिया राधा प्यारी, कोयलिया अकुलायो।
केहि विधि गोकुला जतन करूँ, कंसा फिर चढ़ि आयो।।
आज द्रोपदी सभा पुकारे, चीर कहाँ धरि आयो।
पूछो तनिक श्याम सखा से, नगरी कहाँ बसायो।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

4 thoughts on ““पद”

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय विजय सर जी

    • महातम मिश्र

      धन्यवाद मित्र रमेश सिंह जी

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