“पद”
उधो कृष्ण सखा पहीं जाओ
ग्वाल बाल गैया तड़फत हैं, का तकि इन विसरायो।
काली भई घिरी फिर यमुना, नाग कालिया आयो।।
बैरन बगिया राधा प्यारी, कोयलिया अकुलायो।
केहि विधि गोकुला जतन करूँ, कंसा फिर चढ़ि आयो।।
आज द्रोपदी सभा पुकारे, चीर कहाँ धरि आयो।
पूछो तनिक श्याम सखा से, नगरी कहाँ बसायो।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
वाह वाह !
सादर धन्यवाद आदरणीय विजय सर जी
सुंदर पद!!
धन्यवाद मित्र रमेश सिंह जी