वो रात दूसरी थी ये दिन दूसरा है
वो रात दूसरी थी ये दिन दूसरा है
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वो रात दूसरी थी ये दिन दूसरा है
वो बात दूसरी थी ये राज दूसरा है
सतर्क रहने की कोशिश करों यारों,
वो ख्वाब दूसरी थी ये ख्याल दूसरा है।
रह गया ख्यालों में मलाल बनकर
वो साज दूसरी थी ये साज दूसरा है
ठुकरा दिया पुराने जमाने को आज
बीते गुजरें जमाने, ये साल दूसरा है
कल क्या होगा ना होगा कौन जाने
मजा लो जिन्दगी का अन्दाज़ दूसरा है
करते हैं बातें आपस में कुछ लोग
वो नाज दूसरी थी ये मिजाज दूसरा है
@रमेश कुमार सिंह /०३-०१-२०१६
वाह
सादर धन्यवाद!!
बहुत खूब !
आभार आदरणीय!!