लिव इन रिलेशन शिप
लिव इन रिलेशन शिप
नव आयातित प्यार विधा
भारतीय संस्कृति से हटकर
पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते कदम
अलिखित समझौता न कोई साक्ष्य
दिल मिले दिलदार बन
किशोरावस्था की उफनती
नदी मंझधार भंवर
हिचकोले खाती नौका
भर रही है वेग धारा
भटकते उद्देश्य अनसुलझे पथिक
किकर्तव्यविमूढ़ दशा
गति साँप छछूंदर
दे रहा है टेंशन
हो गया दूसह
जब तक रही बाहर
खूब जमा मन यार
होई बात बतंगड़
दीवार थी बालू की
ले गयी बरसात
बात हुई जब आम
आशिक थाने के अंदर
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’