क्षणिका

क्षणिकाएं

1.
टूटने लगी हैं अब जंजीरें सभी यूं भी
परिंदों के पर काटकर भी क्या पाओगे।।।

2.
वह याद नहीं करते यूंही न बताते हैं
है क्या रिश्ता जाने हम जान न पाते हैं।।।

3.
शब्द जब कुछ दिल को आहत कर जाते हैं
नहीं भरते ज़ख्म फिर चाहे हम जिधर जाते हैं।।।

कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

13 thoughts on “क्षणिकाएं

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    बढियां

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    बढियां

    • धन्यवाद जी

    • धन्यवाद जी

  • लीला तिवानी

    तीर-तलवार का ज़ख्म बिना निशान छोड़े भर सकता है, शब्दों का नहीं. अति सुंदर.

    • हौंसला बड़ाने के लिए धन्यवाद जी

    • हौंसला बड़ाने के लिए धन्यवाद जी

  • गुंजन अग्रवाल

    सुन्दर

    • धन्यवाद जी

    • धन्यवाद जी

  • शब्द जब कुछ दिल को आहत कर जाते हैं

    नहीं भरते ज़ख्म फिर चाहे हम जिधर जाते हैं।।। बिलकुल सही .

    • शुक्रिया जी

    • शुक्रिया जी

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