क्षणिकाएं
1.
टूटने लगी हैं अब जंजीरें सभी यूं भी
परिंदों के पर काटकर भी क्या पाओगे।।।
2.
वह याद नहीं करते यूंही न बताते हैं
है क्या रिश्ता जाने हम जान न पाते हैं।।।
3.
शब्द जब कुछ दिल को आहत कर जाते हैं
नहीं भरते ज़ख्म फिर चाहे हम जिधर जाते हैं।।।
कामनी गुप्ता ***
बढियां
बढियां
धन्यवाद जी
धन्यवाद जी
तीर-तलवार का ज़ख्म बिना निशान छोड़े भर सकता है, शब्दों का नहीं. अति सुंदर.
हौंसला बड़ाने के लिए धन्यवाद जी
हौंसला बड़ाने के लिए धन्यवाद जी
सुन्दर
धन्यवाद जी
धन्यवाद जी
शब्द जब कुछ दिल को आहत कर जाते हैं
नहीं भरते ज़ख्म फिर चाहे हम जिधर जाते हैं।।। बिलकुल सही .
शुक्रिया जी
शुक्रिया जी