मैं दीपक का तेल हो जाऊँ यह मेरी तमन्ना है
मैं दुनिया का सैर करूँ यह मेरी तमन्ना है।
जीवन भर स्नेह लुटाऊ यह मेरी तमन्ना है।
सपनों को हकीकत में जमीं पर लाऊँ।
अच्छा पाठ सीखु-सीखाऊँ यह मेरी तमन्ना है।
दुनिया के रीति-रिवाज से परिचित हो जाऊँ,
घुलमिलकर कुछ करूँ यह मेरी तमन्ना है।
ज्ञान रूपी पंखों से सबके यहाँ पहुँच जाऊँ,
शब्दों को लूँ और दूँ मैं यह मेरी तमन्ना है।
बाती, दीपक की जग में सब लोग बन जायें।
मैं दीपक का तेल हो जाऊँ यह मेरी तमन्ना है।
______________रमेश कुमार सिंह /०९-०१-२०१६
वाह वाह ! बहुत सुंदर !!
आभार आदरणीय!!
प्रिय रमेश भाई जी,
मुरझाए न कभी आपकी काव्य की बगिया, यह मेरी तमन्ना है,
हरी-भरी रहे हमारी धरती, लहराती रहे प्रेम की नदियां, यह मेरी तमन्ना है।
आभार आदरणीया
बहुत अछि सोच ,कविता के रूप में यह शब्द अछे लगे .
सादर धन्यवाद आदरणीय!!