सामाजिक

पानी की समस्याएँ

telangana-drought_650x400_71461128558पानी की कीमत का अंदाजा नहीं लगा पा रहे भारत के लोगों ने अगर पानी का मोल जल्द ही नहीं समझा तो वर्ष 2020 तक देश में जल की समस्या विकराल रूप ले सकती है।

देश में पानी की उपलब्धता की खराब होती स्थिति गम्भीर चिंता का विषय बनी हुई है और एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2020 तक पानी की उपलब्धता प्रति व्यक्ति एक हजार क्यूबिक मीटर से भी कम रह जाएगी।

तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए लड़े जाने की आशंकाओं के बीच भारत में जलस्रोतों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है नतीजतन कई राज्य पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।

वे किसान जो आर्थिक रूप से फसलों पर निर्भर रहते हैं वे भी पानी की समस्या से जूझ रहा हैं और रोज मानसून आने का इंतज़ार करते है और आसमान को निहारते रहते हैं। किसी ने कहा है कि बारिश न होने पर एक परेशान किसान कहता है की
“जमीन जल चुकी है आसमान अभी बाकी है दरख्तो तुम्हारा इम्तहान अभी बाकी है बादलों अब तो बरस जाओ सूखी जमीन पर मकान गिरवी है और लगान अभी बाकी है”

आबादी के तेजी से बढ़ते दबाव और जमीन के नीचे के पानी के अंधाधुंध दोहन के साथ ही जल संरक्षण की कोई कारगर नीति नहीं होने की वजह से पीने के पानी की समस्या साल-दर-साल गंभीर होती जा रही है.

इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि कभी दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश वाली जगह चेरापूंजी में भी अब लोगों को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में लगभग 9.7 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी मयस्सर नहीं होता. लेकिन यह आंकड़ा महज शहरी आबादी का है. ग्रामीण इलाकों की बात करें तो वहां 70 फीसदी लोग अब भी प्रदूषित पानी पीने को ही मजबूर हैं. एक मोटे अनुमान के मुताबिक, पीने के पानी की कमी के चलते देश में हर साल लगभग छह लोग पेट और संक्रमण की विभिन्न बीमारियों की चपेट में आकर दम तोड़ देते हैं.
अब जब 2028 तक आबादी के मामले में चीन को पछाड़ कर देश के पहले स्थान पर पहुंचने की बात कही जा रही है, यह समस्या और भयावह हो सकती है. एक और तो गांवों में साफ पानी नहीं मिलता तो दूसरी ओर, महानगरों में वितरण की कामियों के चलते रोजाना लाखों गैलन साफ पानी बर्बाद हो जाता है।
आखिर पानी की इस लगातार गंभीर होती समस्या की वजह क्या है? इसकी मुख्य रूप से तीन वजहें हैं. पहला है आबादी का लगातार बढ़ता दबाव. इससे प्रति व्यक्ति साफ पानी की उपलब्धता घट रही है. फिलहाल देश में प्रति व्यक्ति 1000 घनमीटर पानी उपलब्ध है जो वर्ष 1951 में 3-4 हजार घनमीटर था. 1700 घनमीटर प्रति व्यक्ति से कम उपलब्धता को संकट माना जाता है. अमेरिका में यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति आठ हजार घनमीटर है. इसके अलावा जो पानी उपलब्ध है उसकी क्वालिटी भी बेहद खराब है. नदियों का देश होने के बावजूद ज्यादातर नदियों का पानी पीने लायक और कई जगह नहाने लायक तक नहीं है.

वर्ष 1984 में गंगा को साफ करने के लिए शुरू गंगा एक्शन प्लान के बावजूद ज्यादातर जगह यह नदी अब तक काफी प्रदूषित है. खेती पर निर्भर इस देश में किसान सिंचाई के लिए मनमाने तरीके से भूगर्भीय पानी का दोहन करते हैं. इससे जलस्तर तेजी से घट रहा है. कुछ ऐसी ही हालत शहरों में भी हैं जहां तेजी से बढ़ते कंक्रीट के जंगल जमीन के भीतर स्थित पानी के भंडार पर दबाव बढ़ा रहे हैं. आईटी सिटी के विकसित होने वाले गुड़गांव में अदालत ने पेय जल की गंभीर समस्या के चलते हाल में नए निर्माण पर तब तक रोक लगा दी थी जब तक संबंधित कंपनी या व्यक्ति पानी के वैकल्पिक स्रोत और उसके संरक्षण का प्रमाण नहीं देता.

इसी तरह शहरी इलाकों में भारी लागत से बने ट्रीटमेंट प्लांट होने के बावजूद वितरण नेटवर्क में गड़बड़ी के कारण रोजाना लाखों गैलन पानी बेकार हो जाता है. कोलकाता और मुंबई समेत कई महानगरों में यह समस्या आम है. पानी की कमी के चलते ही दिल्ली सरकार ने अब इसकी कीमत बढ़ाने का फैसला किया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, पानी की कमी की एक सबसे बड़ी वजह यह है कि सरकार ने जल संरक्षण की दिशा में अब तक कोई ठोस नीति नहीं बनाई है. इसके चलते बारिश का 65 फीसदी बह कर समुद्र में चला जाता है.

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में 30 साल के इतिहास में पहली बार पानी का संकट भयानक रूप ले चुका है। दरअसल राजधानी को पानी सप्लाई करने वाले चारों प्रमुख स्रोत लगभग पूरी तरह सूख चुके हैं। यह जानकारी तेलंगाना के नगरीय प्रशासन मंत्री केटी रामा राव ने दी है।

देशभर में पानी की समस्या के कारण लगभग सौ लोग मर चुके हैं और मौसम विभाग के अनुसार मानसून को करीब एक महीना है।

दयाल कुशवाह

पता-ज्ञानखेडा, टनकपुर- 262309 जिला-चंपावन, राज्य-उत्तराखंड संपर्क-9084824513 ईमेल आईडी[email protected]

4 thoughts on “पानी की समस्याएँ

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख !

    • देव कुशवाहा

      जी धन्यवाद।

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सार्थक लेखन ….. प्रेरक आलेख

    • देव कुशवाहा

      धन्यवाद जी

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