दोहा मुक्तक
शीर्षक मुक्तक आयोजन
शब्द ”कच – बाल, केश, कुन्तल, चिकुर, अलक, रोम, शिरोरूह आदि ”
चपला केश जस भ्रमर, उभरे पुलकित रोम
शोभा मुख मण्डल दिखे, चाह बरसे व्योम
अलक पलक घेरे रहे, बाल हाल अतिनेह
चन्द्रमुखी विहंसे डगर, वारि धार अनुलोम॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी