तिनका-तिनका बनकर हवा में दूर गया।
तिनका-तिनका बनकर हवा में दूर गया।
लिए अपनापन था मगर वो दूर गया।
अजीब सा सुरूर वो मुझको दे गया
साथ निभा नहीं सका क्यों दूर गया।
दिल के करीब रहकर जो सुख दिया
यह शिला देकर मुझे क्यों भूल गया।
नसीब में न था तो पर क्यों आ गया
इस घड़ी में छोड़ मुझे क्यों दूर गया।
जाना था तो क्यों दिल से दिल लगया
बेवजह इस कदर छोड़ क्यों दूर गया।
सफर में हमसफर को क्यों छोड़ गया
दुनिया मेरी गमगीन कर क्यों दूर गया।
चाह नहीं तो फिर चाहत क्यों बना गया
चाहतें हुए अजनबी बनकर क्यों दूर गया।
उससे मिलने को मेरा दिल तड़प रहा
दिल को तड़पते देखकर क्यों दूर गया।
सामने ही मेरा सबकुछ क्यों बिखर गया
तिनका-तिनका बनकर हवा में दूर गया।
___________________रमेश कुमार सिंह
___________________04-02-2016