शहरी वर्षाजल संग्रह योजना
बरसात के दिनों में शहरी क्षेत्रों में स्थान-स्थान पर जलभराव हो जाना एक सामान्य बात है। जल निकासी का उचित प्रबंध न होना, सीवर लाइनों का कूड़ा करकट से पट जाना, नालों की उचित सफाई न होना आदि इसके कई कारण हैं। इसके अलावा एक ओर तो शहरों में सबमर्सिबल पम्पों के द्वारा भूमिगत जल का अंधाधुंध दोहन होता है, दूसरी ओर वर्षा जल सीवर लाइनों और नालों में बहकर बेकार चला जाता है। फिर वह नदियों में जाकर बाढ़ का कारन बनता है। इसके परिणामस्वरूप भूमिगत जल का स्तर लगातार नीचे गिरता चला जा रहा है और कई जगह खतरनाक स्तर तक नीचे जा पहुंचा है, जिसका जल पीने योग्य तो क्या नहाने-धोने लायक भी नहीं रह गया है।
इन सब समस्याओं का समाधान शहरी वर्षाजल संग्रह योजना द्वारा बहुत कम लागत में किया जा सकता है। इससे एक ओर तो सड़कों पर जलभराव की समस्या और बाढ़ से मुक्ति मिलेगी, दूसरी ओर भूमिगत जल का स्तर भी एक-दो साल में ही पर्याप्त स्तर तक ऊपर उठाया जा सकता है।
इस योजना के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं-
1. यह योजना गली-मौहल्ला स्तर पर लागू की जाएगी तथा अन्य गली-मौहल्लों से पूरी तरह स्वतंत्र होगी।
- किसी गली, मौहल्ले या सड़क पर जहां वर्षा जल का भराव होता है, उसके निकट किसी किनारे के स्थान जैसे फुटपाथ के नीचे या किसी पार्क के कोने में या किसी नुक्कड़ पर एक लगभग डेढ़ मीटर व्यास और 5-6 मीटर गहराई का जलसंग्रह कुआं खोदा जाएगा। एक कुएं की जलसंग्रह क्षमता लगभग 10 हजार लीटर होगी। ऐसे कुएं आवश्यकता के अनुसार एक या अधिक की संख्या में खोदे जा सकते हैं।
- इन कुओं की दीवारें पक्की होंगी जिससे कि मिट्टी धंस न जाये और तल पूरी तरह कच्चा रहेगा। इसको ऊपर से पक्के ढक्कन द्वारा स्थायी रूप से बन्द कर दिया जाएगा और उसके ऊपर फुटपाथ, पार्क या रास्ता (जो भी हो) बना दिया जाएगा। ऐसे कुएं के लिए एक पाइप जैसा जालीदार रास्ता खुला होगा, जिसमें से वर्षा का जल कुएं के अन्दर जाएगा। यह जल एक या दो दिन में ही कच्चे तल में होकर जमीन के अन्दर चला जाएगा और कुआं जल संग्रह करने के लिए लगभग हमेशा तैयार यानी सूखा रहेगा।
- जिन गली मौहल्लों में सीवर की नालियां भूमिगत हैं, उनमें वर्षाजल सड़क पर से सीधे ही इन कुओं में डाला जा सकता है। इसके लिए जमीन से केवल एक फुट नीचे आवश्यक संख्या में प्लास्टिक पाइप डालकर उनके मुंह एक या अधिक स्थानों पर खोले जा सकते हैं ताकि उनमें से होकर बरसात का जल सीधे जलसंग्रह कुएं में जाए।
- जिन गली मौहल्लों में सीवर की नालियां खुली हुई हैं, वहाँ भी इसी प्रकार प्लास्टिक के पाइप डाले जाएंगे, लेकिन उनका मुँह नाली के तल से लगभग 6 इंच ऊपर खुलेगा, ताकि केवल ऊपर का वर्षा जल ही उन कुओं में जाए और अनावश्यक गन्दगी उनमें न जाए।
- यह ध्यान रखना होगा कि इन कुओं में जाने वाले पानी में पालीथिन और कूड़ा करकट न हो, ताकि पाइप जाम न हो जायें। आवश्यक होने पर हर दो-तीन साल बाद कुओं के तल और पाइपों की सफाई की जा सकती है, ताकि वे अधिक से अधिक जल को जमीन के अन्दर भेज सकें।
- किसी बहुमंजिली इमारत में भी यह योजना लागू की जा सकती है। इसके लिए उसकी छत और खुली जमीन पर बरसने वाले पानी को अलग पाइपों और नालियों के द्वारा जलसंग्रह कुंए तक भेजा जाना चाहिए, जो उसी इमारत के परिसर में किसी कोने पर खोदा जाएगा। बरसात के पानी को कभी भी सीवर लाइन में नहीं डालना चाहिए।
- इसी प्रकार यह योजना विद्यालयों के परिसरों और खेल मैदानों में भी लागू की जा सकती है।
— विजय कुमार सिंघल
ज्येष्ठ कृ. 5, सं. 2073 वि.
जल संरक्षण का बहुत अच्छा सुझाव व योजना। इसके लिए बधाई स्वीकार करें। मेरा सुझाव यह भी है प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर का पर्याप्त भाग बाग़ बगीचे आदि के रूप में रखना चाहिए जिससे वर्षा का अधिक से अधिक भूमि के अंदर स्वतः ही समां सके। ईश्वर ने भूमि को ऐसा बनाया है कि वह जल को अपने अंदर सोख लेती है और वही जल हमें आवश्यकता पढ़ने पर भूमि में नलकूप लगा कर प्राप्त हो सकता है। आपने इसी कार्य को अधिक उपयोगी बन दिया है। इन कुवों का निर्माण नगरपालिका व सरकार को ही करना होगा। समाज में इसके प्रति जागरण का कार्य भी करना अपेक्षित है। सादर।
हार्दिक धन्यवाद, मान्यवर ! इस योजना को मैं मोदी जी के पास भेज रहा हूँ. पहले भूल गया, क्षमा करें.
आदरणीय विजय सुन्दर विचार है लेकिन लोग इस पर चले या इस तरह से करें तब तो!!!!!!!!प्रणाम!!
हार्दिक धन्यवाद, रमेश जी.
प्रिय विजय भाई जी, योजना बहुत अच्छी है, बस अमल में लाई जाए तभी बात बने.
प्रणाम बहिन जी! हार्दिक धन्यवाद.
विजय भाई , बेछक मैं यहाँ रहता हूँ लेकिन मुझे आप के सुझाव बहुत्ब पसंद आये . इस के साथ मैं भी एक सुझाव देना चाहूँगा जो कभी यहाँ हर घर में होता था लेकिन आज की पीडी इस को जानती ही नहीं ,वोह है हर घर में एक ड्रम होना, जिस में गटर के जरिये बार्ष का पानी हर दम रहे और यह ड्रम भरा ही रहे .कहने को तो यह कुछ भी नहीं है लेकिन सारे शहर में इतने ड्रमों का पानी कैलकुलेट किया जाए तो यह बहुत हो जाएगा . पानी जमा करने के बहुत तरीके हो सकते हैं लेकिन अगर कोई समझे और अमल में लाये तो !!!!!!!!!
बहुत बहुत धन्यवाद, भाई साहब. आपका सुझाव भी उपयोगी है.