गीत/नवगीत

गीत : दामन मेरा खुशियों से भर-भर जाए

फिर क्यों ना दामन मेरा
खुशियों से भर-भर जाए
तेरी करूणा के बादल बरसे
मैंने जब-जब हाथ फैलाए

सुख के समय तो मैंने कभी ना
इक पल तुमको याद किया
अपने झूठे अहंकार में
जीवन ये बर्बाद किया
लेकिन तुम ही बने सहारा
जब आँख में आँसू आए

तेरी करूणा के बादल बरसे
मैंने जब-जब हाथ फैलाए

मेरी योग्यता से ज्यादा ही
तूने दिया है मुझको
एक बार भी धन्यवाद पर
मैंने कहा ना तुझको
फिर भी मेरी राह में तूने
पग-पग फूल बिछाए

तेरी करूणा के बादल बरसे
मैंने जब-जब हाथ फैलाए

मिटना है, मिट जाएगा
मिट्टी का मन, मिट्टी का तन
तेरी कृपा से ही टूटेंगे
जन्मों-जन्मों के बंधन
साथ चलेंगे बस वो ही
कुछ पुण्य जो मैंने कमाए

तेरी करूणा के बादल बरसे
मैंने जब-जब हाथ फैलाए

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]

One thought on “गीत : दामन मेरा खुशियों से भर-भर जाए

  • अर्जुन सिंह नेगी

    सुन्दर गीत

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