कविता

तुम और मैं

तुम अपने दु:ख से जूझो

मैं अपने दु:ख से जूझूँ

हताश नहीं हैं हम

एक दिन तो खुशियां पाएंगे

 

तुम अपना ज़ोर लगाओ

मैं अपना दम भर लूँ

कमज़ोर नहीं हैं हम

एक दिन सफल हो जाएंगे

 

तुम मेरे आँसू पोंछो

मैं तेरे आसूँ पी लूँ

कुछ और नहीं हो तो

एक-दूजे के लिए मुस्कुराएंगे

 

तुम अपना दामन फैलाओ

मैं अपना आंचल बिखरा दूँ

आंचल न सही लेकिन

एक दिन मुठ्ठी तो भर लाएंगे।

 

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*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल [email protected]

2 thoughts on “तुम और मैं

  • नीतू सिंह

    धन्यवाद

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी नीतू जी, अति सुंदर कविता के लिए आभार.

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