साधू बिच्छू
क्या तुम भी न ….. दिन भर लैपटॉप या मोबाईल में घुसी रहती हो …. या तो फेसबुक ब्लॉग या व्हाट्सएप्प ….. अगल बगल क्या हो रहा है उसकी जानकारी तो रखती नहीं हो …… चली हो देश दुनिया की खबरों में हिस्सेदारी करने …… रिश्तेदारों से तो निभती नही है … आभासी दुनिया में रोज नये नये रिश्ते बनाती हो ….. मिलने पर ऐसा लगता है ना जाने कितने जन्मों का नाता है ….
हो गया आपका परवचन या कुछ और भी बाकी है …… आभासी दुनिया से अभी तक कोई बिच्छू नहीं मिला , जिसे बार बार मौका देने के लिए साधू की भूमिका निभानी पड़े